नई दिल्ली : दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और महायुति नेताओं के बीच हुई बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद की पेशकश की। हालांकि, शिंदे फिलहाल इस प्रस्ताव को स्वीकार करने में हिचकिचा रहे हैं। उनकी असहमति ने भाजपा के सामने एक राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने भाजपा से अपनी शिवसेना गुट के किसी अन्य नेता को उपमुख्यमंत्री पद देने की मांग की है। यहां तक कि उन्होंने सरकार से पूरी तरह बाहर रहने का विचार भी व्यक्त किया है। हालांकि, भाजपा शिंदे को किनारे करने के लिए तैयार नहीं है। नई सरकार में उन्हें महत्वपूर्ण मानती है। शिंदे को लगता है कि उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करना मुख्यमंत्री पद के बाद उनके राजनीतिक कद में गिरावट होगी।
सूत्रों के मुताबिक, शिंदे ने अपने बेटे श्रीकांत शिंदे का नाम उपमुख्यमंत्री पद के लिए सुझाया है। श्रीकांत शिंदे के अनुभव को देखते हुए भाजपा इसके लिए हिचकिचाहट में है। भाजपा को यह भी लगता है कि ऐसा करने से वंशवाद के आरोप लग सकते हैं। साथ ही शिंदे गुट के कई वरिष्ठ नेता असंतोष व्यक्त कर सकते हैं, जिससे आंतरिक कलह पैदा हो सकती है।
अगर श्रीकांत शिंदे उपमुख्यमंत्री बनते हैं तो उन्हें अनुभवी नेताओं जैसे अजित पवार के साथ काम करना होगा। इन दोनों के बीच तुलना शिवसेना गुट की छवि को कमजोर कर सकती है। भाजपा रणनीतिकारों को यह भी चिंता है कि श्रीकांत की आक्रामक राजनीतिक शैली सरकार के भीतर समस्याएं खड़ी कर सकती हैं।
भाजपा एकनाथ शिंदे को अपनी सरकार में अहम मानती है। पिछले एक साल में शिंदे महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं। उनकी मराठा नेताओं, जैसे कि कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के साथ जुड़ाव ने उनकी स्थिति को मजबूत किया है। मराठाओं के बीच शिंदे की लोकप्रियता और विश्वसनीयता भाजपा के लिए बड़ी संपत्ति है। भविष्य में मराठा आरक्षण मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन या अशांति की स्थिति में भाजपा को लगता है कि शिंदे की भूमिका सरकार के लिए लाभकारी होगी।
भाजपा शिंदे की उपस्थिति पर इसलिए भी जोर दे रही है क्योंकि महायुति गठबंधन में अजित पवार का प्रभाव बढ़ रहा है। अगर शिंदे पीछे हटते हैं तो पवार की सरकार पर पकड़ और अधिक मजबूत हो सकती है। पवार के प्रभाव को संतुलित करने के लिए भाजपा दो मजबूत मराठा नेताओं को प्रमुख पदों पर रखना चाहती है। शिंदे की निरंतर भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि पवार का प्रभाव गठबंधन पर हावी न हो।
शिंदे उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन उन्होंने इसके बदले गृह, शहरी विकास और सार्वजनिक निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभागों की मांग की है। ये मंत्रालय सरकार में सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। भाजपा इन मांगों पर विचार कर रही है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये मांगें स्वीकार की जाएंगी या नहीं।
एकनाथ शिंदे की भूमिका महायुति सरकार में सिर्फ मंत्री पद तक सीमित नहीं है। वह मराठा समुदाय से जुड़ने की एक महत्वपूर्ण कड़ी माने जाते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान शिंदे ने भाजपा को शिवसेना में विभाजन और मराठा विरोध जैसे मुश्किल हालातों से निपटने में मदद की। उनकी गैरमौजूदगी भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। साथ ही शिंदे का हटना अजित पवार को और साहस दे सकता है जो पहले ही महायुति गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत कर चुके हैं।