हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में चल रही भारी गिरावट के बीच श्रीलंका ने समूह को बड़ी राहत दी है. ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका ने अडानी ग्रीन एनर्जी की 44 करोड़ 20 लाख डॉलर के दो पवन ऊर्जा परियोजना को मंजूरी दे दी है. डिफॉल्ट हो चुके श्रीलंका का कहना है कि अडानी समूह की इस परियोजना से देश में दो हजार नौकरियां सृजित होंगी और दो साल में लगभग 350 मेगावाट बिजली पैदा होगी.
श्रीलंका के Board Of Investment (BOI) ने बुधवार को कहा, ‘भारतीय कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी को श्रीलंका के मन्नार और पूनरीन क्षेत्रों में दो पवन ऊर्जा संयंत्र बनाने की परियोजना को मंजूरी दी गई है. इस परियोजना से क्षेत्र में दो हजार नई नौकरियों का सृजन होगा और दो सालों में लगभग 350 मेगावाट बिजली पैदा होगी.’
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अडानी समूह की कंपनियां श्रीलंका में एक अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रही हैं. राजधानी कोलंबो में अडानी ग्रुप पहले से ही 70 करोड़ डॉलर का एक रणनीतिक बंदरगाह टर्मिनल बना रहा है. पिछले साल नवंबर में इसके वेस्ट कंटेनर टर्मिनल पर काम शुरू हुआ था.
द हिंदू से बात करते हुए श्रीलंका के निवेश प्रोत्साहन राज्य मंत्री दिलम अमुनुगामा ने गुरुवार को कहा कि अडानी समूह के शेयरों में गिरावट का उन कंपनियों पर असर नहीं पड़ेगा जो उनके देश में निवेश कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘जहां तक हमारी सरकार और हमारे मंत्रालय का संबंध है, हम निवेश के लिए उत्सुक हैं. इसलिए हमने इस परियोजना को मंजूरी दी.’
इस परियोजना को मंजूरी देने से पहले, श्रीलंका की बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकरा ने अडानी समूह के अधिकारियों से एक प्रगति समीक्षा बैठक भी की थी.
पिछले साल, अडानी समूह की परियोजनाओं ने श्रीलंका में विवाद खड़ा कर दिया था. सरकार के आलोचकों का कहना था कि अडानी समूह की परियोजनाओं को मंजूरी देने में पारदर्शिता नहीं रखी गई है और एक अनुचित प्रक्रिया के तहत इसे मंजूरी दी गई.
सरकार ने भी अपने ऊर्जा कानूनों में संशोधन किया जिसे लेकर विपक्ष भड़क गया. विपक्ष का कहना था कि देश के ऊर्जा क्षेत्र में अडानी समूह पिछले दरवाजे से प्रवेश कर रहा है.
उसी समय पूर्वी सीलोन बिजली बोर्ड के अध्यक्ष ने पीएम मोदी और अडानी समूह को लेकर एक संसदीय बैठक में विवादित टिप्पणी कर दी जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उन्होंने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने अडानी समूह की परियोजना को मंजूरी देने के लिए श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर दबाव डाला था. राजपक्षे ने इस दावे का जोरदार खंडन किया था. अध्यक्ष ने भी अपने बयान को वापस ले लिया था.
श्रीलंका में बिजली की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए अडानी समूह की ये परियोजना उसके लिए बेहद अहम है. श्रीलंका प्रति वर्ष 4,200 मेगावाट बिजली पैदा करता है. अगले दो दशकों में ऊर्जा की यह वार्षिक मांग लगभग 5% बढ़ने वाली है. श्रीलंका के अधिकारियों का कहना है कि उनका लक्ष्य अगले तीन वर्षों में लगभग 2,800 मेगावाट बिजली उत्पादन बढ़ाने का है.