नई दिल्ली : शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को अमृतसर में गोली चलाई गई। हालांकि, वह इस हमले में बाल-बाल बच गए। अकाली नेता श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से दी गई धार्मिक सजा भुगतने श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे थे।

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमले की कोशिश की गई। बुधवार को अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब में अकाली नेता पर गोली चलाई गई, हालांकि वे सही सलामत हैं। सुखबीर बादल श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से दी गई धार्मिक सजा भुगतने श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे थे। फिलहाल पुलिस ने हमलावर को गिरफ्तार कर लिया है। उधर घटना नए अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है। पंजाब में विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने पंजाब की भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार को घेरा है। आइये जानते हैं सुखबीर बादल और उनकी राजनीति के
दरअसल, पूर्व शिअद-भाजपा सरकार के दौरान उपमुख्यमंत्री रहे सुखबीर बादल समेत 17 अकाली मंत्रियों के खिलाफ श्री अकाल तख्त साहिब ने सोमवार को धार्मिक सजा का एलान किया था। यह सजा सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और सिख युवाओं की हत्या करवाने वाले पुलिस अधिकारियों को उच्च पदों पर आसीन करने समेत कई पंथक गलतियों के लिए सुनाई गई। 14 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिच पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक हुई थी। इसमें इन गलतियों के लिए 15 दिन के अंदर सुखबीर बादल से स्पष्टीकरण मांगा गया था। 24 जुलाई को सुखबीर ने बंद लिफाफे में अकाल तख्त को स्पष्टीकरण दिया था। 30 अगस्त को सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त ने तनखाहिया (पंधक गलतियों का दोषी) घोषित किया था।

इसके बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल के लिए धार्मिक दंड की घोषणा की गई। इसी के तहत बादल स्वर्ण मंदिर में ‘सेवादार’ का काम कर रहे थे। बुधवार सुबह अचानक एक व्यक्ति ने उन पर गोली चला दी। बादल के आस-पास खड़े लोगों ने तुरंत गोली चलाने वाले को पकड़ लिया। पुलिस ने शिरोमणि शूटर की पहचान नारायण सिंह चौरा के रूप में की है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि बादल को कोई चोट नहीं आई है।

सुखबीर बादल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बेटे हैं। वह वर्तमान में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष हैं जो खुद को भारत की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी कहती है। सुखबीर बादल केंद्रीय मंत्री और उपमुख्यमंत्री जैसे बड़े पदों पर रह चुके हैं। सुखबीर सिंह बादल को उनके पिता की जगह शिरोमणि अकाली दल की कमान मिली थी। सुखबीर बादल और उनके परिवार के पास कई तरह के व्यवसायों में स्वामित्व हिस्सेदारी है जिसमें रियल एस्टेट, परिवहन और अन्य गतिविधियां शामिल हैं। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे में सुखबीर बादल ने कुल 202 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी।

सुखबीर बादल को राजनीति विरासत में मिली। उनके पिता प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे और नौ बार विधायक चुने गए थे। वे 1970 से 1971, 1977 से 1980, 1997 से 2002 और 2007 से 2017 तक (लगातार दो कार्यकाल) राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। 9 जुलाई 1962 को पंजाब के फरीदकोट में प्रकाश सिंह बादल और सुरिंदर कौर के घर सुखबीर का जन्म हुआ था। शुरुआत में उनकी शिक्षा हिमाचल प्रदेश के प्रतिष्ठित लॉरेंस स्कूल, सनावर में हुई। सुखबीर ने 1980 से 1984 तक पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में एमए ऑनर्स की पढ़ाई की। वहीं अमेरिका जाकर कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से एमबीए किया।

सुखबीर बादल ने 1991 में हरसिमरत कौर से शादी की। हरसिमरत वर्तमान में बठिंडा लोकसभा क्षेत्र से संसद सदस्य हैं और मोदी सरकार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भी रह चुकी हैं। उनकी दो बेटी गुरलीन कौर और हरलीन कौर हैं। इकलौते बेटे का नाम अंनतबीर सिंह बादल है।

1996 में सुखबीर बादल पहली बार सांसद बने। वह 11वीं लोकसभा के लिए फरीदकोट सीट से सांसद चुने गए थे। वह 1998 में भी फरीदकोट लोकसभा सीट से सांसद बने। इस जीत के बाद सुखबीर 1998 से 1999 के दौरान दूसरी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय उद्योग राज्य मंत्री रहे। सुखबीर बादल फरवरी 2001 से अप्रैल 2004 तक संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा के सांसद भी रहे। 2004 में सुखबीर 14वीं लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित हुए जो लोकसभा में उनका तीसरा कार्यकाल था।

सुखबीर सिंह बादल ने 2008 से शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष की कमान संभाली। वह शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष बनने वाले अब तक के सबसे युवा व्यक्ति हैं। सुखबीर को यह जिम्मेदारी पिता प्रकाश सिंह बादल से मिली जो 1995 से 2008 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। इसके बाद जनवरी 2009 में वह पंजाब के उपमुख्यमंत्री बन गए जब उनके पिता प्रकाश सिंह मुख्यमंत्री थे। हालांकि, सुखबीर उस समय विधानसभा के सदस्य नहीं थे। अकाली प्रमुख ने छह महीने की अवधि पूरी होने पर जुलाई 2009 में इस्तीफा दे दिया। जलालाबाद विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीतने के बाद अगस्त 2009 में वह फिर से उपमुख्यमंत्री बने।

2012 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव सुखबीर बादल के राजनीतिक सफर में काफी अहम साबित हुए। उन्होंने पंजाब में पहली बार सत्ता विरोधी लहर को मात देते हुए शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार को शानदार और ऐतिहासिक जीत दिलाई। गठबंधन को मिली भारी जीत के बाद वह फिर राज्य के उपमुख्यमंत्री बने। नई सरकार में उन्होंने गृह, शासन सुधार, आवास, उत्पाद शुल्क और कराधान, निवेश प्रोत्साहन, खेल और युवा सेवा कल्याण और नागरिक उड्डयन जैसे अहम विभागों को संभाला। इस जीत और बाद में 2013 में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों में जीत ने उनके राजनीतिक कद को और बढ़ा दिया।

हालांकि, 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव गठबंधन सरकार के लिए झटका साबित हुआ। शिअद-भाजपा गठबंधन को हराकर वर्षों बाद फिर कांग्रेस सत्ता में आ गई। 117 सदस्यीय विधानसभा में शिरोमणि अकाली दल को 15 तो भाजपा को तीन सीटें ही आईं। हालांकि, जलालाबाद सीट से सुखबीर सिंह बादल को जीत मिली।

2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर सुखबीर फिर देश की संसद पहुंच गए। अकाली नेता मई 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए फरीदकोट से चौथी बार निर्वाचित हुए। उनकी पत्नी हरसिमरत कौर भी बठिंडा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतीं जो उनकी लोकसभा में तीसरा कार्यकाल था। इस जीत के बाद हरसिमरत कौर को मोदी सरकार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री की जिम्मेदारी मिली। हालांकि, उन्होंने तीन कृषि कानूनों के विरोध में सितंबर 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही शिअद ने कृषि भाजपा के साथ अपने दो दशकों से अधिक पुराने गठबंधन को भी खत्म कर दिया।

2022 के राज्य विधानसभा चुनाव में शिअद ने बसपा के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा। इसमें आम आदमी पार्टी ने सत्ताधारी कांग्रेस का सफाया किया तो शिअद-बसपा गठबंधन भी असरदार नहीं साबित हुआ। आम आदमी पार्टी ने 117 में से 92 सीटों पर जीत दर्ज की। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के 18 विधायक चुने गए। तीसरे नंबर पर अकाली दल रही जिसकी महज तीन सीटें ही आईं। खुद अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर ने जलालाबाद विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के जगदीप कंबोज गोल्डी से चुनाव हार गए।

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भी अकाली दल का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। खुद सुखबीर बादल ने चुनाव नहीं लड़ा और उनकी पत्नी हरसिमरत बठिंडा सीट से उतरीं। पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से अकाली दल की तरफ से सिर्फ हरसिमरत कौर ही जीत सकीं।