मुंबई. अभिनेत्री एशा देओल इन दिनों फिर से अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय हैं। हाल ही में अभिनेता अजय देवगन के साथ वेब सीरीज ‘रुद्र’ में दिखीं एशा जल्द ही सुनील शेट्टी के साथ एक और वेब सीरीज में नजर आने वाली हैं। शूटिंग के बीच से वह किसी भी तरह करके अपनी बेटियों के लिए समय निकालना नहीं भूलतीं। इन दिनों अपनी बेटियों के साथ वह सुपरहिट जापानी एनीमेशन सीरीज ‘नारुतो’ खूब देखती हैं। सोनी ये चैनल पर प्रसारित हो रही ये सीरीज एशा देओल की पसंदीदा सीरीज शुरू से रही है। इस शो की वापसी से वह काफी खुश दिखीं और चाहती हैं कि उनको जो चीजें बचपन में मिलीं, वे सब उनकी बेटियों को भी मिलें। एशा से एक खास मुलाकात…
अपनी दोनों बेटियों राध्या और मिराया के लिए कितना समय निकल पाती है, आपकी कौन सी चीजें उन्हें ज्यादा पसंद है?
मैं शूटिंग शेड्यूल ही ऐसा बनाती हूं कि अपनी दोनों बेटियों को भरपूर समय दे सकूं। रविवार को तो ज्यादातर छुट्टी होती है और भी किसी दिन काम नहीं होता है तो पूरा दिन अपनी दोनों बेटियों को देती हूं। जब मैं शूटिंग के लिए तैयार होकर जाती हूं तो दोनों बेटियां बैठकर देखती हैं। उन्हें मेरा तैयार होते हुए देखना बहुत अच्छा लगता है। मैं भी बचपन में ऐसा ही करती थी। जब मम्मी तैयार होकर शूटिंग के लिए निकलती थी तो उनको तैयार होते देखती रहती थी।
जब मम्मी (हेमा मालिनी) नेल पॉलिश लगती थी, तब मैं डर जाती थी। मुझे ऐसा लगता था कि मम्मी नेल पॉलिश लगा रही हैं तो इसका मतलब वह कहीं बाहर जाने वाली है। मम्मी के बिना मुझे अच्छा नहीं लगता था। मैं चाहती थी कि वह हमेशा मेरे ही साथ रहे लेकिन ऐसा संभव नहीं था। शूटिंग पर जब भी मम्मी जाती थी तो पहले मुझे स्कूल छोड़ती थीं। उसके बाद ही शूटिंग पर जाती थी।
ऐसी कोई बात तो मुझे याद नहीं आ रही लेकिन हां स्कूल में सभी बच्चों को समान रूप से ट्रीट किया जाता था। ऐसा नहीं था कि मैं बड़े घर की बेटी हूं तो मेरे लिए अलग से कुछ खास व्यवस्था हो या कोई स्पेशल ट्रीटमेंट मिले। हमारे घर में ऐसे संस्कार मिले है कि हमने खुद भी किसी को यह एहसास नही होने दिया कि हम स्टार किड्स हैं।
स्टार किड होने के बावजूद मेरा बचपन बहुत ही साधारण रहा। ऐसा ही मैं अपनी बेटियों के साथ चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि वह भी मेरी ही तरह साधारण तरीके से रहना सीखें। बचपन में हमेशा हमें अनुशासन से रहना, जमीन से जुड़े रहना और बड़ों को सम्मान देना सिखाया गया है। मैं ये सारे संस्कार अपनी बेटियों को देना चाहती हूं। बचपन में जो संस्कार बच्चों को दिए जाते है, उसी के हिसाब से वह अपने जीवन आगे बढ़ते हैं।
यह कोई नई बात नही है। स्टार किड्स को हमेशा से ही टारगेट किया जाता रहा है। अब फिल्मों के बायकॉट को लेकर मुहिम छिड़ी हुई है। जिनकी फिल्मों के बायकॉट की बात हो रही है, वे बड़े एक्टर हैं। हिंदी सिनेमा में उनका अपना योगदान रहा है जिसे भुलाया नहीं जा सकता है। अब जो भी हो रहा है, उसके बारे में तो ज्यादा बात नहीं कर सकती लेकिन जो भी हो रहा है, उस पर किसी का वश नहीं है। मैं इतना जरूर जानती हूं कि एक समय ऐसा आएगा जब सब ठीक हो जाएगा।
हिंदी में मुझे ‘लिटिल सिंघम’ काफी पसंद है। इसे मैने डिस्कवरी किड्स चैनल पर देखा था। लेकिन ‘नारुतो’ को लेकर लोगों में कुछ अलग ही क्रेज रहा है। अब ये फिर से हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम और बंगाली में भी वापस आ गया है। यह बहुत ही मजेदार सीरीज है। बचपन में जब भी स्कूल से आती थी तो इस सीरीज को जरूर देखती थी। मुझे लगता है बचपन में यह सीरीज सबको पसंद आई होगी।
मुझे वंडर वूमन का किरदार पसंद है। इस तरह के किसी किरदार का फिल्म या सीरीज में काम मिले तो मैं जरूर करना चाहूंगी। इन दिनों ओटीटी पर काफी बेहतर कहानियां आ भी रही हैं।