वॉशिंगटन. अमेरिका के एरिजोना शहर में एक कंपनी ऐसे लोगों को फ्रीज कर देती हैं जिनके परिजनों को उम्मीद है कि एक दिन वह फिर से पुनर्जीवित होंगे. अमेरिका की एल्कोर लाइफ एक्सटेंशन फाउंडेशन ने तरल नाइट्रोजन से भरे टैंकों के अंदर लगभग 200 मनुष्यों के शरीर को क्रायोप्रिजर्व्ड किया है जो भविष्य में पुनर्जीवित होने की आशा में हैं. फाउंडेशन के अनुसार कई मरीज ऐसे हैं जो कैंसर, एएलएस या अन्य बीमारियों से पीड़ित थे जिनका वर्तमान समय में कोई इलाज नहीं है.
संस्थान की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार क्रायोनिक्स भविष्य में चिकित्सा प्रौद्योगिकी के साथ स्वास्थ्य को बहाल करने के इरादे से सबफ्रीजिंग तापमान का उपयोग करके मरने की प्रक्रिया को रोककर जीवन को संरक्षित करने का एक अभ्यास है. इस संसथान के मुताबिक मरने की प्रक्रिया को रोका जा सकता है जिसका क्रायोनिक्स एक सबसे अच्छा उपाय है.
रोगियों में से एक माथेरिन नोवारतपोंग हैं, जो क्रायोजेनिक रूप से जमे हुए सबसे कम उम्र की मरीज हैं. अधिक जानकारी देते हुए अल्कोर के पूर्व सीईओ, मैक्स मोर ने बताया कि नोवारतपोंग थाईलैंड की एक छोटी लड़की है जिसे ब्रेन कैंसर था. उसके माता-पिता दोनों डॉक्टर थे और उसके दिमाग की कई सर्जरी हुईं पर दुर्भाग्य से कुछ भी काम नहीं आया. इसलिए उन्होंने हमसे संपर्क किया. नोवारतपोंग का मामला अल्कोर के कुछ सार्वजनिक मामलों में से एक है.
प्रसिद्ध हस्तियों की बात करें तो पेरिस हिल्टन ने कथित तौर पर क्रायोप्रिजर्वेशन के लिए अनुबंध किया है. अमेरिका गॉट टैलेंट के साइमन कोल्डवेल ने 2011 में सार्वजनिक रूप से अपनी सदस्यता की घोषणा की थी, लेकिन बाद में बाहर हो गए. हाल फिलहाल में वॉल्ट डिज्नी के जमे होने की अफवाहें चल रही थीं, लेकिन इसे उनके अपने परिवार ने खारिज कर दिया था. साथ ही महान बेसबॉल खिलाड़ी टेड विलियम्स, जिनकी 2002 में मृत्यु हो गई, वर्तमान में एल्कोर के जमे हुए रोगियों में से एक हैं.
मोरे कहते हैं कि वह क्रायोनिक्स को आपातकालीन चिकित्सा के विस्तार के रूप में सोचते हैं. उन्होंने आगे कहा कि हम यह कह रहे हैं कि मरीज को सिर्फ डिस्पोज करने के बजाय हमें दे दो. भविष्य में जब ऐसी तकनीक विकसित हो जाएगी जिससे उन्हें जीवन में वापस लाया जा सकेगा तब तक यह कंपनी उनके शरीर को खराब होने से बचाएगी.
मैक्स मूर की पत्नी नताशा वीटा-मोर ने भी ‘न्यूरोसस्पेंडेड’ होने के लिए करार किया है. जिसका अर्थ है कि केवल उनका मस्तिष्क क्रायोप्रेसिव होगा. कंपनी का मानना है कि भविष्य में यह लोग जब वापस अपने जीवन में आएंगे तो अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से भी मिल सकेंगे.
न्यूयॉर्क शहर में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिकल एथिक्स डिवीजन के निदेशक और बायोएथिक्स के प्रोफेसर डॉक्टर आर्थर कैपलन का मानना है कि यह विचार दूर की कौड़ी है. न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि एकमात्र समूह जिसे आप वास्तव में संभावना के बारे में उत्साहित होते हुए देखते हैं, वे लोग हैं जो दूर के भविष्य का अध्ययन करने में विशेषज्ञ हैं या वे लोग हैं जो चाहते हैं कि आप इस कंपनी को पैसे दें.
कैपलन ने बताया कि क्रायोनिक्स एक आशा पर टिका हुआ है कि भविष्य में विज्ञान इतना एडवांस होगा की लोगों को पुनर्जीवित कर सके. एक शरीर को जमाने में कम से कम $200,000 और अकेले मस्तिष्क के लिए $80,000 का खर्च आता है. एल्कोर का कहना है कि उसके अधिकांश सदस्यों के पास वह पैसा नहीं है, इसलिए वे जीवन बीमा का उपयोग करते हैं