लखनऊ। नेपाल में मूसलाधार बारिश के बाद अचानक पांच लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ने से श्रावस्ती और कुशीनगर में बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं। नदी के किनारे बसे इलाकों में फसल और गृहस्थी प्रभावित हुई है। इसके देखते हुए सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तेज बारिश के दृष्टिगत संबंधित जिलों को तेजी से राहत कार्य संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकारी क्षेत्र का भ्रमण कर राहत कार्य पर नजर रखें और प्रभावित लोगों को मदद प्रदान करें। उन्होंने आपदा से हुई जनहानि से प्रभावित परिवारों को राहत राशि अविलंब देने को कहा। साथ ही, जिन लोगों के घरों को नुकसान पहुंचा है अथवा पशु हानि हुई है, उन्हें भी वित्तीय सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए है। वहीं फसलों को हुए नुकसान का आकलन का शासन को रिपोर्ट देने को कहा।
बता दें कि नेपाल में मूसलाधार बारिश के बाद अचानक पांच लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ने से श्रावस्ती और कुशीनगर में बाढ़ में फंसे 87 लोगों को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर सुरक्षित निकाला गया है। कुशीनगर में 20 मवेशियों को भी बचाया गया। सीएम ने दोनों जिलों के डीएम को क्षतिग्रस्त फसल का 24 घंटे के अंदर सर्वे कर रिपोर्ट शासन को भेजने को कहा है। हालांकि अभी इन जिलों में स्थिति सामान्य है, कुछ ही इलाकों में फसलों को नुकसान हुआ है।
राहत आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने बताया कि शनिवार रात करीब आठ बजे राज्य स्तरीय इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर को नेपाल में मूसलाधार बारिश के बाद देवघाट बैराज से 5,71,850 क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सूचना मिली थी। जिसके बाद राहत एवं बचाव कार्य तेजी से शुरू कर दिया गया। वहीं मुख्यमंत्री ने रविवार सुबह नेपाल से छोड़े गये पानी से प्रभावित श्रावस्ती और कुशीनगर के डीएम से बातचीत कर हालात की जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि बाढ़ और जल जमाव की समस्या के प्रति सभी डीएम व नगर निकाय सतर्क दृष्टि रखें। अतिवृष्टि के कारण जल जमाव के खतरा बना हुआ है. इसका तत्काल समाधान निकालें। जिन क्षेत्रों में अतिवृष्टि के कारण या नेपाल से आने वाली नदियों में अत्यधिक पानी के कारण जलभराव हो गया है, वहां जनप्रतिनिधियों के माध्यम से पीड़ित परिवारों को जिला प्रशासन सुरक्षित स्थानों एवं शिविरों में भेजकर राहत सामग्री का वितरण करे। आकाशीय बिजली या अन्य प्राकृतिक आपदा से हुई जनहानि के मामलों में 24 घंटे के अंदर राहत राशि (मृत्यु की दशा में चार लाख रुपये) स्थानीय जनप्रतिनिधि के माध्यम से प्रभावित परिवार को दी जाये।
लगातार बारिश और बैराजों के पानी से सरयू नदी खतरे का निशान छूने के लिए बेताब है। सरयू, शारदा व गिरिजा बैराज से छोड़े गए करीब तीन लाख 60 हजार क्यूसेक पानी से नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। सरयू की धारा अब तटबंध के स्पर से टकरा रही है। स्पर तटबंधों को सुरक्षित करने के लिए बने हैं। यदि इसमें कटान हुई तो धारा सीधे तटबंध से टकराएगी। चंदापुर किटौली के पास नदी का रुख तटबंध की ओर मुड़ रहा है। इससे यहां कटान की आशंका के चलते अधिकारी सुरक्षा के काम कराने में जुट गए हैं। इसके अलावा बेलसर विकासखंड अंतर्गत ऐली-परसौली में गोड़ियनपुरवा व बिसुनपुरवा आदि तटवर्ती गांवों के पास नदी की कटान तेज हो गई है।
सरयू नदी रविवार को खतरे के निशान से मात्र 77 सेंटीमीटर दूर ही रह गई है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार रविवार को एल्गिन ब्रिज से सुबह नदी में दो लाख 69 हजार 455 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। ऐसे में सोमवार तक सरयू नदी खतरे के निशान तक पहुंच सकती है। बढ़ते जलस्तर के कारण एल्गिन चरसड़ी बांध की तरफ नदी का पानी जमा होने लगा है। नदी का बहाव भी तेज हो गया है।
अधिकारियों की टीम लगातार सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर पर नजर बनाए हुए है, जहां कहीं भी दिक्कत होती है उसे ठीक करने की कवायद तेज हो जाती है। बाढ़ खंड के सहायक अभियंता अमरेश सिंह व अवर अभियंता रवि वर्मा ने बताया कि बांध पूरी तरह से सुरक्षित है। बांध की सीसीटीवी कैमरों से नियमित निगरानी की जा रही है।