गोपेश्वर/जोशीमठ। उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर टूटने से बड़ा हादसा हो गया। अबतक के राहत और बचाव कार्य के दौरान चमोली जिला पुलिस ने 14 शव मिलने की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि अभी भी 125 से अधिक लोग लापता हैं। रात में भी बचाव कार्य जारी रहा। नुकसान का आकलन जारी है। सुबह तड़के चार बजे से एक बार फिर बचाव कार्य शुरू हो गया है। सुरंगों के पास से मलबा हटाया जा रहा है। माना जा रहा है कि इनमें काफी लोग फंसे हुए हैं। हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने मुआवजे की घोषणा की है। राज्य सरकार चार और केंद्र सरकार दो लाख रुपये की सहयोग राशि देगी। सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव का कार्य कर रहे हैं। वैश्विक नेताओं ने घटना पर गहरा दुख जताया है। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने आवश्यकता होने पर मदद करने की पेशकश की है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को कुदरत ने कहर बरपाते हुए भारी तबाही मचाई। नीती घाटी में रैणी गांव के शीर्ष भाग में ऋषिगंगा के मुहाने पर सुबह करीब 9ः15 बजे ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर ऋषिगंगा में गिर गया, जिससे नदी में भीषण बाढ़ आ गई। इस जल प्रलय से नदी पर निर्मित 13 मेगावाट की ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई। वहीं, एनटीपीसी की तपोवन स्थित 500 मेगावाट की निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा।
दोनों परियोजनाओं में काम कर रहे 155 से ज्यादा मजदूरों और स्थानीय लोगों के हताहत होने की खबर है। अभी आठ लोगों के शव मिले हैं। जिला प्रशासन के अनुसार, बाढ़ के दौरान ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना में 35 से 40 लोग काम कर रहे थे, जबकि तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना में कार्य करने वाले 178 कर्मचारियों में से 116 काम पर थे, जिनमें से 25 लोगों को एक सुरंग से सकुशल निकाल लिया गया है। कुछ लोग मोबाइल चला रहे थे, जिससे फंसे लोगों का पता चला।
आपदा की सूचना मिलने के बाद आईटीबीपी, बीआरओ, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को बचाव कार्य में लगाया गया है। एनडीआरएफ की चार टीमें (करीब 200 कर्मी) दिल्ली से एयरलिफ्ट करके देहरादून भेजी गईं, जिन्हें वहां से जोशीमठ भेजा गया। बताया जाता है कि पानी का बहाव इतना तेज था कि ऋषिगंगा और धौलीगंगा के किनारे बसे कई गांव भी तबाह हो गए। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून समेत कई जिलों में हाई अलर्ट कर दिया गया है।
वहीं, नदी का जल स्तर बढ़ने से निचले क्षेत्रों में लोगों में खलबली मची रही। जोशीमठ, पीपलकोटी, चमोली, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग के साथ ही रुद्रप्रयाग क्षेत्र में पुलिस ने लाउडस्पीकर से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा। स्थानीय प्रशासन ने ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा किनारे के लोगों को अलर्ट करते हुए राफ्टिंग समेत सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह ने भी उत्तराखंड की आपदा पर चिंता जताते हुए प्रदेश सरकार को हर तरह की मदद का भरोसा दिलाया।
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आपदा में चमोली के विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना और धौलीगंगा बिजली परियोजना को भी नुकसान पहुंचा है। पीपलकोटी परियोजना अलकनंदा नदी पर है। इसके लिए डायवर्जन डैम बनाए जा रहे थे, जिसकी ऊंचाई 65-70 मीटर तक होती। इससे बिजली का उत्पादन दिसंबर, 2023 तक शुरू होने की उम्मीद थी। यह प्रोजेक्ट 400 मेगावाट का है। वहीं, 90 मीटर का झूला पुल समेत सात पुल बह गए।
इस आपदा से कुल चार हजार करोड़ रुपये का नुकसान का अनुमान है। तपोवन-विष्णुगाड परियोजना से 2978 करोड़, जबकि ऋषिगंगा परियोजना में 40 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। नुकसान के अंतिम आंकड़े बाद में जारी किए जाएंगे। जोशीमठ क्षेत्र से आगे मलारी के पास सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का एक पुल बाढ़ से बह गया। बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने अधिकारियों को जल्द से जल्द इसे बहाल करने का निर्देश दिया है। आवश्यक दुकानों और कर्मियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है।
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वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने घटना की आरंभिक वजह बीते दिनों हुई बर्फबारी के बाद शंक्वाकार पहाड़ों पर हुए भारी हिमस्खलन से ग्लेशियर का टूटना बताई है। हालांकि, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, आपदा की असली वजह जानने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम जांच करेगी। चमोली के स्थानीय लोगों के मुताबिक, बाढ़ का दृश्य कुछ ऐसा ही दिख रहा जैसे कि जून 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान दिखा था। केदारनाथ धाम में साल 2013 में 13 से 17 जून के बीच भारी बारिश के बाद यहां का चौराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया था। इस ग्लेशियर के कारण यहां पर मंदाकिनी नदी ने विकराल रूप से लिया था और पर्वतीय इलाकों से गुजरता नदी का पानी केदारनाथ धाम तक पहुंच गया था। इस आपदा में पांच हजार से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए थे।
पूरा देश उत्तराखंड के साथः पीएम
मैं उत्तराखंड के दुर्भाग्यपूर्ण हालात पर लगातार नजर रखे हुए हूं। इस घड़ी में देश उत्तराखंड के साथ है और हर किसी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। केंद्र सरकार ने आपदा में जान गंवाने वालों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये के मुआवजे का एलान किया है। वहीं, उत्तराखंड सरकार ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा दने की घोषणा की है। घायलों को 50-50 हजार की धनराशि दी जाएगी।
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ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के बहने की सूचना और तेज बहाव की जानकारी मिलते ही श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की पूरी टीम सतर्क हो गई। उन्होंने तेजी से बहाव को नियंत्रित करने का काम शुरू कर दिया। कड़ी मशक्कत के बाद इंजीनियर कामयाब हो गए, जिससे बड़ी तबाही होने से बच गई। यदि नियंत्रित नहीं होता, तो बाढ़ का असर ऋषिकेश व हरिद्वार तक हो सकता था। करीब साढ़े चार घंटे के बाद श्रीनगर बांध की झील में पानी का तेज बहाव पहुंचा, मगर तब तक पहले से ही झील में जगह होने की वजह से स्थिति नियंत्रण में आ गई। उल्लेखनीय है कि हरिद्वार में कुंभ का आयोजन भी होना है।
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तबाही को देखते हुए यूपी के सभी जिलों में अलर्ट जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हालात के मद्देनजर यूपी के सभी जिलाधिकारियों को हाई अलर्ट पर रखा है। एसडीआरएफ को भी अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। राहत आयुक्त ने आदेश जारी कर कहा, गंगा किनारे बसे जिलों को हाई अलर्ट पर रहने की आवश्यकता है और जलस्तर की 24 घंटे निगरानी की जरूरत है। जरूरत हो तो लोगों को बाहर निकालने और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी फ्लड कंपनी को भी हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हेल्पलाइन नंबर 1070 और 9557444486 जारी की हैं। सीएम ने ट्वीट किया, अगर आप प्रभावित क्षेत्र में फंसे हैं, आपको किसी तरह की मदद की जरूरत है, तो कृपया आपदा परिचालन केंद्र के दिए गए नंबरों पर संपर्क करें। कृपया घटना के बारे में पुराने वीडियो से अफवाह न फैलाएं।