तेहरान. ईरान में पुलिस हिरासत में हुई छात्रा महसा अमीनी की मौत के बाद से हिजाब के विरोध में 24 दिनों से चल रहा विरोध प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को भी हिंसक प्रदर्शनों का दौर जारी रहा. एक मानवाधिकार समूह के हवाले से कहा कि अब तक इन प्रदर्शनों में बच्चों सहित कम से कम 185 लोग मारे गए हैं. नॉर्वे स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स ग्रुप ने शनिवार को कहा कि ईरान में चल रहे देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों में 19 बच्चों सहित कम से कम 185 लोग मारे गए हैं. सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में सबसे ज्यादा हत्याएं दर्ज की गई हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुर्दिश शहर साकेज़ से शुरू हुए यह प्रदर्शन अब राजधानी तेजरन समेत देश के सभी इलाकों में फैल गए हैं.

ईरानी अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शनों को संयुक्त राज्य अमेरिका सहित ईरान के दुश्मनों द्वारा एक साजिश बताया है. ईरान का आरोप है कि पश्चिमी देश लोगों को हथियार देकर राज्य कि खिलाफ हिंसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. राज्य की मीडिया के अनुसार इन हिंसा में सुरक्षा बलों के कम से कम 20 सदस्य मारे गए हैं.

हिंसा का आरोप पश्चिमी देशों पर मढ़ते हुए ईरान ने अपने अरबी भाषा के अल-आलम टीवी पर दो फ्रेंच जासूसों की वीडियो को जारी किया है. इस वीडियो में फ्रांसीसी नागरिक 37 वर्षीय सेसिल कोहलर और 69 वर्षीय जैकियस पेरिस देश में चल रहे प्रदर्शनों की जिम्मेदारी लेते दिख रहे हैं. आगे वीडियो में, कोहलर ने फ्रेंच जनरल डायरेक्टरेट फॉर एक्सटर्नल सिक्योरिटी (डीजीएसई) का एजेंट होने की बात स्वीकार कर रहे हैं जो ब्रिटिश एमआई6 और अमेरिकी सीआईए के बराबर है.

रिकॉर्डिंग में, कोहलर कहते हुए दिख रही हैं कि वह और उसका साथी इस्लामी गणराज्य में एक क्रांति को बढ़ाने और ईरानी सरकार को उखाड़ फेंकने की नींव रखने के मुख्य उद्देश्य के साथ ईरान में आए थे. कोहलर ने बताया कि वे दंगों और हड़तालों को वित्तपोषित करने और अराजकता फैलाने के प्रयास में हथियार खरीदने के लिए बड़ी मात्रा में नकदी लाए थे. ईरान के अनुसार जासूस यदि आवश्यक होता तो हथियारों का इस्तेमाल पुलिस के खिलाफ लड़ने के लिए करना चाहते थे.