मुंबई. अब संजय दत्त रील और रियल दोनों की ही नई शुरुआत कर चुके हैं. एक के बाद एक कई फिल्मों में नज़र आ रहे हैं. हाल ही में वो ब्लॉकबस्टर साबित हुई केजीएफ-2 में नज़र आए थे.

संजय दत्त ने अपने फिल्मी सफ़र, परिवार और जेल जाने जैसे सभी विषयों पर बीबीसी के सहयोगी नयनदीप रक्षित से बात की.

साल 1993 में 12 मार्च को मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे. इस केस में संजय दत्त का भी नाम सामने आया था. बाद में संजय दत्त को अबू सलेम और रियाज़ सिद्दीक़ी से अवैध बंदूक़ों की डिलीवरी लेने, उन्हें रखने और फिर नष्ट करने का दोषी माना गया था. साल 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने टाडा अदालत के फ़ैसले को सही ठहराते हुए संजय को पांच साल की सज़ा सुनाई थी और संजय ने ये साल जेल में बिताए.

जब उनसे ये पूछा गया कि क्या ऐसे मुश्किल समय में कभी हौसला टूटता दिखा? संजय दत्त कहते हैं कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि उनका हौसला टूट गया हो.

इस दौरान संजय दत्त जेल में एक हवालदार से मिली सलाह का भी ज़िक्र करते हैं. वो कहते हैं, ”जब मैं जेल में था तब एक हवलदार ने मुझसे बोला कि संजू बाबा अगर आपने उम्मीद करना छोड़ दिया तो जेल का समय चुटकियों में निकल जाएगा. मैंने बोला कि मैं उम्मीद कैसे छोड़ सकता हूं, उन्होंने बोला कि कोशिश करो. मैंने उनकी बातों को गंभीरता से लिया और कोशिश की. मुझे दो-तीन हफ्ते लगे कि मैं उम्मीद छोड़ दूं, मैं सही बता रहा हूं जब मैंने उम्मीद करना छोड़ दिया तो समय तेजी से निकल गया.”

संजय दत्त बताते हैं कि उन्होंने जेल में थैली बनाने, रेडियो जॉकी का काम करने जैसा अलग-अलग काम करके 5-6 हज़ार रुपये कमाए थे. संजय दत्त कहते हैं, ”मैंने जेल में 5-6 हज़ार रुपये कमाए थे. वो मैंने संभाल कर रखे हैं, अपनी पत्नी को दिया है. थैली बनाना, गार्डन में काम करना या रेडियो का काम करना ये सब सीखने का काम है और वो वक्त सीखने का भी था.”

बॉलीवुड में दूसरे अभिनेताओं के साथ अपने रिश्तों पर संजय दत्त कहते हैं कि उनका रिश्ता कुछ अभिनेताओं से काफी गहरा है और अब किसी तरह की प्रतिद्वंद्विता की बात नहीं है. वो कहते हैं, ”हम सब लोग अपना काम कर चुके हैं. हम सब भाई हैं. सलमान, शाहरुख, अजय, सुनील या अक्षय की फिल्म चलती है तो मुझे अच्छा लगता है. हम एक इंडस्ट्री हैं, एक परिवार हैं. हम लोगों में कमाल की बॉन्डिंग हैं.”

सलमान ख़ान के साथ अपने मस्तीभरे पल को याद करते हुए संजय दत्त एक किस्सा बताते हैं, ”मैं एक समय में हार्ली वाले बूट पहनता था. हार्ली पर एक पट्टी होती थी, सलमान ने अचानक एक जूते की पट्टी ही काट डाली. बाद में मैंने उनसे कहा कि अब दूसरी पट्टी भी काट दो. कहने का मतलब है कि हमारे बीच कुछ ऐसी बॉन्डिंग है.”

संजय दत्त कहते हैं कि वो अपने करियर से संतुष्ट हैं और उन्होंने काफी अच्छी और ख़राब दोनों ही तरह की फिल्मों में काम किया है और अब भी उनके पास काफी काम है.

बीबीसी से बातचीत में संजय दत्त कहते हैं कि उनको परिवार से ख़ूब सारा प्यार मिला लेकिन एक बात है जो उन्हें खटकती है कि उनकी मां उन्हें बहुत पहले ही छोड़कर चली गईं. संजय कहते हैं, ”मेरी मां से मुझे बहुत प्यार था, पापा से भी. हम लोग काफी यंग थे जब मां छोड़कर चली गई. इसका बहुत बुरा भी लगता है कि हम लोग उनके सामने बड़े नहीं हुए, न ही उन्होंने अपने पोता-पोती को देखा. मेरे पिता ने मेरे बच्चे को भी नहीं देखा. ये बुरा भी लगता है और याद हमेशा आती है. जो संस्कार उन्होंने हमें सिखाया है, वो हमेशा हमारे साथ रहेगा.”

संजय कहते हैं कि उनके लिए पिता चट्टान की तरह थे, जब वो नहीं रहे तो ऐसा लगा कि सहारा ही छूट गया और कुछ साल मुश्किल भरे रहे. संजय दत्त अपनी पत्नी मान्यता को परिवार का मजबूत स्तम्भ बताते हैं और कहते हैं कि मुश्किल वक्त में भी मान्यता ने पूरे घर को संभाले रखा है.