नई दिल्ली । भारतीय चुनाव आयोग (ECI) शनिवार दोपहर तीन बजे लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करने जा रहा है। इसके साथ ही, कई राज्यों के विधानसभा चुनावों की भी घोषणा की जाएगी। चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद नतीजों की घोषणा होने तक पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू रहेगी। इससे सरकार के कामकाज में कई अहम बदलाव आएंगे।
जब भी कहीं चुनाव हो रहे होते हैं तो जिस दिन तारीखों की घोषण की जाती है, उसी समय से आदर्श संहिता लगा दी जाती है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए अपने संवैधानिक अधिकार के तहत चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता विकसित की है जो राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए मानदंड स्थापित करती है। इसका उद्देश्य सभी दलों को चुनाव लड़ने के लिए एक जैसे ही अवसर देना है।
सबसे पहले सरकार द्वारा की जाने वाली घोषणाओं पर रोक लगा दी जाती है। चुनाव पैनल के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि चुनाव की घोषणा होने के बाद मंत्रियों और अन्य अधिकारियों को किसी भी वित्तीय अनुदान की घोषणा करने या उसके वादे करने से प्रतिबंधित किया जाता है। वहीं, लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद, सिविल सेवकों को छोड़कर, मंत्रियों या नेताओं को शिलान्यास करने या किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या योजनाओं को शुरू करने से भी प्रतिबंधित कर दिया जाता है। सरकारी या सार्वजनिक उपक्रमों में एड हॉक नौकरियां जो सत्तारूढ़ दल के पक्ष में मतदाताओं को प्रभावित कर सकती हैं, उस पर भी रोक लगाई जाती है।
मंत्री और अन्य अधिकारी चुनाव की घोषणा होने के बाद निधि से अनुदान या भुगतान को मंजूरी नहीं दे सकते हैं। चुनाव के दौरान सरकारी विमान, वाहन, मशीनरी और कर्मियों सहित सरकारी परिवहन का इस्तेमाल सत्तारूढ़ दल के हितों को आगे बढ़ाने के लिए नहीं किया जा सकता है। चुनावी रैलियां आयोजित करने के लिए मैदान और हवाई उड़ानों के लिए हेलीपैड जैसे सार्वजनिक स्थान सभी दलों और उम्मीदवारों के लिए समान नियमों और शर्तों पर उपलब्ध होने चाहिए। चुनाव आयोग की गाइडलाइंस के अनुसार, विश्राम गृहों, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर सत्तारूढ़ दल या उसके उम्मीदवारों का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। किसी भी पार्टी द्वारा चुनाव प्रचार के लिए प्रचार कार्यालय के रूप में या सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने के लिए उनका उपयोग करना प्रतिबंधित है।