नई दिल्ली। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होता है. अष्टमी तिथि के दिन दुर्गा अष्टमी व्रत, कन्या पूजन, नवमी तिथि को महानवमी और दशमी तिथि के दिन दशहरा या विजयादशमी का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है. इस साल नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर दिन सोमवार से हो रहा है. प्रतिपदा के दिन घटस्थापना या कलश स्थापना से मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का पूजन प्रारंभ होता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डाॅ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं नवरात्रि के घटस्थापना मुहूर्त के बारे में.

पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को तड़के 03:23 बजे से लेकर 27 सितंबर को तड़के 03:08 बजे तक है. ऐसे में शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर से होगा. नवरात्रि के इस पहले दिन कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैत्रपुत्री की पूजा होगी.

शारदीय नवरात्रि के घटस्थापना या कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह में 06 बजकर 11 मिनट से सुबह 07 बजकर 51 मिनट तक है. यदि आप किन्हीं कारणों से सुबह में कलश स्थापना न कर पाएं तो आप दोपहर के अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट के बीच कर सकते हैं. अभिजीत मुहूर्त कलश स्थापना के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है.

26 सितंबर को नवरात्रि के प्रथम दिन सुबह 06 बजकर 11 मिनट से सुबह 07 बजकर 42 मिनट तक चैघड़िया का अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त है. ऐसे में सुबह के समय कलश स्थापना करना बहुत ही शुभ रहेगा.