नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. साल में कुल 24 एकादशी होती है. सभी एकादशी का अपना अलग महत्व है. लेकिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली निर्जला एकादशी का सर्वाधिक महत्व है. ऐसी मान्यता है कि जो लोग ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत रखता है, उसे साल में पड़ने वाली सभी एकादशी का फल मिलता है. इस साल कब रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत और कब है पारण आइए जानते हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 30 मई मंगलवार को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शुरू हो रही है. जिसका समापन अगले दिन 31 मई दिन बधवार को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि सर्वमान्य होती है. इसलिए एकादशी का व्रत 31 को ही रखा जाएगा.

एकादशी व्रत में पारण का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि जो लोग एकादशी व्रत में समय से पारण नहीं करते हैं, उन्हें व्रत का फल नहीं मिलता है. निर्जला एकादशी व्रत का पारण 01 जून को सबह 05 बजकर 24 मिनट से लेकर 08 बजकर 10 मिनट तक है. इस शुभ महूर्त में आप भी पारण कर सकते हैं.

इस दिन सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में उठने के बाद स्नान करें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण करें. इस दिन पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीला पुष्प और पीली मिठाई अर्पित करें. इसके बाद श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करें. ऐसा करने से भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.