अयोध्या. वैसे तो हर महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं. ये प्रदोष व्रत हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पड़ता है. प्रदोष के दिन भगवान शंकर की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना की जाती है. कहा जाता है जो भक्त पूरी श्रद्धा से प्रदोष का व्रत रखता है, उसे शिवाजी की असीम कृपा मिलती है. इस व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही की जाती है. वहीं, आश्विन माह का प्रदोष व्रत खास माना गया है. पितृपक्ष में पड़ने वाले प्रदोष का बड़ा महत्व है.
हिंदू पंचांग के मुताबिक, अक्टूबर माह का प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा, जो इस बार 11 अक्टूबर को है. बुधवार दिन पड़ने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा. अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि अक्टूबर माह का प्रदोष व्रत 11 अक्टूबर दिन बुधवार को है. प्रदोष व्रत में हमेशा शिवजी की आराधना प्रदोष काल में ही की जाती है. इस बार शाम 5:37 से 8:25 तक प्रदोष काल रहेगा. इस मुहूर्त में पूजा की जा सकती है. वही, अक्टूबर माह का दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा जो 26 अक्टूबर दिन गुरुवार को पड़ेगा. इसे गुरु प्रदोष व्रत के माना जाएगा, जिसका प्रदोष काल शाम 5:56 से शाम 8:19 तक रहेगा.
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, प्रदोष व्रत के दिन विधि विधान पूर्वक भगवान शंकर की पूजा आराधना करने से भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होते हैं. प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान करना चाहिए. प्रदोष काल में पूजा आराधना करनी चाहिए. सुबह के समय शिव मंदिर में जाकर भगवान शंकर का दर्शन करना चाहिए. बेलपत्र, अक्षत, दीपक, गंगाजल और धूप को पूजन सामग्री के रूप में सम्मिलित करना चाहिए. साथ ही शिवलिंग पर जलाभिषेक करके शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए. अगर आप ऐसा करते हैं, तो जल्द ही भगवान शंकर प्रसन्न होंगे.