नई दिल्ली: करवा चौथ का त्योहार सुहागिन महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए मनाती हैं. लेकिन एक गांव में इस त्योहार के आते ही सन्नाटा छा जाता है. यहां सुहागिन महिलाएं न तो व्रत रखती हैं और न ही पूजा करती हैं. यह गांव मथुरा के सुरीर कस्बे में स्थित है. यहां करवा चौथ का त्योहार कई सालों से नहीं मनाया जाता. कहा जाता है कि यह गांव एक सती के श्राप से श्रापित है.

मथुरा से 60 किलोमीटर दूर स्थित सुरीर कस्बे में वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. यहां की सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ नहीं रखतीं. कहा जाता है कि यदि किसी विवाहिता ने इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की, तो उसके साथ अनहोनी हो जाती है. इस डर से सुरीर के मोहल्ला बघा में आज भी दर्जनों परिवारों में करवा चौथ का त्योहार नहीं मनाया जाता. विवाहित महिलाएं 16 श्रृंगार भी नहीं करतीं.

नौहझील गांव का एक ब्राह्मण युवक अपनी पत्नी को ससुराल से लेकर घर लौट रहा था. सुरीर कस्बे के बघा मोहल्ले में ठाकुर समाज के कुछ लोगों से भैंसा बुग्गी को लेकर विवाद हो गया, जिसमें उस युवक की मौत हो गई. अपने पति की मौत के बाद पत्नी लोगों को श्राप देते हुए सती हो गई.

कुछ बुजुर्गों ने इसे सती का श्राप मानते हुए क्षमा याचना की और मोहल्ले में सती का मंदिर बनाकर उनकी पूजा-अर्चना शुरू कर दी. इससे सती का प्रकोप थोड़ा कम हुआ, लेकिन करवा चौथ और अघोई अष्टमी का त्योहार मनाने पर सती ने बंदिश लगा दी. तभी से इस कस्बे की महिलाएं करवा चौथ का त्योहार नहीं मनाती हैं और न ही पूरा साज-श्रृंगार करती हैं.

नवविवाहिता सीमा ने लोकल18 से बात करते हुए कहा कि उन्हें इस परंपरा के बारे में जानकर दुख होता है कि वह अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत नहीं रख सकतीं. इसी तरह बबीता और बुजुर्ग महिला सुनहरी ने भी कहा कि जब से वे इस गांव में आई हैं, तब से उन्होंने किसी को करवा चौथ का व्रत करते हुए नहीं देखा.