नई दिल्ली. हिन्दू धर्म में हर महीने कई व्रत और त्योहार पड़ते हैं। साथ ही सभी देवी-देवताओं के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहारों का अलग-अलग महत्व होता है। दो दिन बाद शीतला अष्टमी का पावन पर्व मनाया जाने वाला है। ये पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। शीतला अष्टमी को बसौड़ा अष्टमी भी कहा जाता है। बसौड़ा शीतला माता को समर्पित लोकप्रिय त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार ये त्योहार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। जो कि होली के आठवें दिन पड़ता है। इस दिन शीतला माता को ठंडा यानी बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और इसके पीछे की मान्यता क्या है…

मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी व्रत के दौरान घर में ताजा भोजन नहीं पकाया जाता बल्कि एक दिन पहले बनाए गए भोजन को ही प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इस परंपरा के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है।

क्यों लगाते हैं बासी भोजन का भोग?
मान्यता है कि शीतला माता को बासी भोजन काफी प्रिय है। शीतला अष्टमी के दिन लोग बासी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि अष्टमी के दिन के घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है और उस दिन रात में बने भोजन को ही ग्रहण करने का रिवाज है।

वहीं वैज्ञानिक कारण की बात करें तो चैत्र माह की सप्तमी और अष्टमी तिथि ऋतुओं के संधिकाल पर आती है। यानी शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इन दो ऋतुओं के संधिकाल में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सर्दी और गर्मी की वजह से कई तरह की मौसमी बीमारियों के होने का खतरा रहता है। इसलिए ठंडा खाना खाने की परंपरा बनाई गई है।

जो लोग शीतला अष्टमी पर ठंडा खाना खाते हैं, वो लोग ऋतुओं के संधिकाल में होने वाली बीमारियों से बचे रहते हैं। साथ ही साल में एक दिन सर्दी और गर्मी के संधिकाल में ठंडा भोजन करने से पेट और पाचन तंत्र को भी लाभ मिलता है।

शीतला अष्टमी के दिन घरों में सूर्योदय से पहले की प्रसाद बना कर रख लिया जाता है और माता शीतला की पूजा के बाद दिन भर घर में चूल्हा नहीं जलाता। सूर्योदय से पूर्व बनाए गए प्रसाद को ही लोग ग्रहण करते हैं।

शीतला अष्टमी का महत्व
मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसके साथ ही रोगों से भी मुक्ति मिलती है, क्योंकि माता शीतला को शीतलता प्रदान करने वाला कहा गया है।