लखनऊ: उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, जो दो दर्जन से ज्यादा जिलों की सियासत पर असर डालते हैं. सूबे की 90 से अधिक विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं. 29 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता जीत और हार तय करते हैं. बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में सूबे की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है. ऐसे में पार्टी की नजर अब मुस्लिमों के वोट बैंक पर है. इसके लिए बीजेपी ने मुस्लिम वोट बैंक पर सेंध लगाने की तैयारी कर ली है. वह एक दो वर्ग नहीं बल्कि मुस्लिमों के सभी वर्गों के लिए रणनीति बनाई गई है.
बीजेपी की इस रणनीति में ओबीसी मुस्लिम केंद्र में हैं. इसमें पसमांदा मुस्लिम सबसे अहम हैं. मुस्लिम क्षेत्रों में पकड़ को बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद और दिल्ली की कार्यकारिणी बैठक में मुस्लिम समाज में पिछड़े माने जाने वाले पसमांदा मुसलमान को पार्टी से जोड़ने का मंत्र दिया था. पसमांदा यानी मुसलमानों के पिछड़े वर्गों की उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों की कुल आबादी में 85 फीसदी हिस्सेदारी मानी जाती है. यहां मुसलमानों की 41 जातियां इस समाज में शामिल हैं, इनमें कुरैशी, अंसारी, सलमानी, शाह, राईन, मंसूरी, तेली, सैफी, अब्बासी, घाड़े और सिद्दीकी प्रमुख हैं, बीजेपी इन्हीं मुस्लिम समाज के इस बड़े वर्ग को अपने पाले में लाने के प्रयास के तहत जगह-जगह पसमांदा सम्मेलन आयोजित कर रही है.
दूसरी रणनीति के तहत बीजेपी यूपी में सूफी सम्मलेन करेने जा रही है. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने मुस्लिमों के बीच अपनी जगह बनाने के लिए सूफी सम्मेलन करने की रूप रेखा बनाई है, जिसे यूपी के दरगाहो और मजारों पर किया जाएगा. मुरादाबाद से यह कार्यक्रम बीजेपी ने शुरू किया है, जिसमें सूफी विचारधारा के लोगों से मुलाकात की और मजार पर चादर चढ़ाकर लोगों के साथ संवाद किया.
मुस्लिमों को बीजेपी से जोड़ने के लिए पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चे की नजर प्रोफेशनल मुस्लिमों और सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों पर है. प्रोफेशनल जैसे डॉक्टर्स, इंजिनियर्स, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बिजनेसमैन, व्यापारी हैं. इसके अलावा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के मुस्लिम लाभार्थियों को भी साधने की रणनीति है. मोदी सरकार ने कल्याणाकारी योजना के जरिए लाभार्थी के रूप में देश में नया वोटबैंक तैयार किया है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों ही शामिल हैं. आवास योजना से लेकर उज्जवला योजना तक के लाभ मिले हैं. यह तबका बहुत की गरीब है, जिसके लिए हिंदू-मुस्लिम की सियासत कोई मायने नहीं रखती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता में आने के बाद से हर महीने आखिरी रविवार को मन की बात करते हैं, जिसका रेडियो से प्रसारण किया जाता है. पीएम मोदी हर महीने किसी न किसी मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं और उस दौरान कुछ लोगों के साथ संवाद भी करते हैं. पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम को किताब की शक्ल दी गई है, जिसका बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा उर्दू में अनुवाद कर मुस्लिम समुदाय के बीच वितरण करने की रूप रेखा बनाई है. इस तरह से पीएम मोदी के मन की बात को मुस्लिमों के घर-घर पहुंचाने और उसके सहारे मुस्लिमों के दिल जीतने की स्ट्रैटजी है.
राज्य के मुस्लिमों के बीच पैठ जमाने के लिए बीजेपी ने स्नेह मिलन सम्मेलन के जरिए मुसलमानों को ‘एक देश एक डीएनए’ का वास्ता देकर पार्टी से जोड़ने की रणनीति बनाई है. इसकी शुरुआत बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ईद के बाद पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर जिले से करेगी.