नई दिल्ली. भारतीय मिलिट्री के पास कुछ ऐसे हथियार हैं, जिनसे चीन भी खौफ खाता है. जैसे ही इन हथियारों में से कुछ सीमा विवाद के समय LAC के पास तैनात किया गया, उसकी हालत खराब हो गई थी. चीन को पता है कि ये हथियार ऐसे हैं, जिनसे भारत बड़ी तबाही मचा सकता है.

भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य दुनिया के 10 सबसे बड़े एयरक्राफ्ट करियर्स में शामिल है. यह 283.5 मीटर लंबा है. इसकी बीम 61 मीटर की है. यह एक कीव-क्लास का मॉडिफाइड एयरक्राफ्ट करियर है. जो भारतीय नौसेना में साल 2013 में शामिल किया गया था. इससे पहले यह सोवियत नौसेना और फिर रूसी नौसेना के लिए सेवाएं दे चुका है. इसका डिस्प्लेसमेंट 45,400 टन है. इस पोत पर 36 लड़ाकू विमान तैनात हो सकते हैं. जिसमें 26 मिकोयान MiG-29K मल्टी रोल फाइटर्स और Kamov Ka-31 AEW&C और Kamov Ka-28 ASW हेलिकॉप्टर्स शामिल हैं.

सोवियत समय की अकूला क्लास परमाणु पनडुब्बी भारतीय नौसेना की ताकत है. 110.3 मीटर लंबी इस पनडुब्बी की गति 19 किलोमीटर प्रतिघंटा सतह पर होती है. पानी के अंदर यह अधिकतम 65 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चल सकती है. यह अधिकतम 600 मीटर की गहराई तक जा सकती है. इसमें 28 टॉरपीडो लगे होते हैं. इसके अलावा तीन सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी तैनात होती हैं. फिलहाल इसमें केएच-55 ग्रनत क्रूज मिसाइल, श्कवाल सुपर कैप्टिवेटिंग टॉरपीडोस तैनात है. अगर युद्ध की स्थिति आती है तो यह पनडुब्बी चीन की पनडुब्बियों, जंगी जहाजों आदि को नष्ट कर सकती है.

भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे खतरनाक और घातक मानी जाती है ये मिसाइल. यह एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. इसके कई वैरिएंट्स भारत की तीनों सेनाओं में तैनात हैं. 3000 किलोग्राम वजनी यह मिसाइल 8.4 मीटर लंबी है. यह 200 से 300 किलोग्राम वजन का पारंपरिक, सेमी-आर्मर पीयर्सिंग और परमाणु हथियार ले जा सकती है. अलग-अलग वैरिएंट्स 400 से लेकर 700 किलोमीटर रेंज तक की हैं. इसकी सबसे खतरनाक बात ये है कि ये जमीन या समुद्र से मात्र 3 से 4 मीटर ऊपर उड़कर जा सकती है. इससे दुश्मन के राडार को इसके आने का पता नहीं चलेगा. दूसरी बात इसकी गति 4939 किलोमीटर प्रतिघंटा है. बीच रास्ते में दिशा बदल सकती है.

भारत के S-400 की शुरुआत 28 अप्रैल 2007 से हुई है. यानी रूस का यह एयर डिफेंस सिस्टम नया और आधुनिक है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार भारत का S-400 दुनिया का सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है. S-400 के चार वैरिएंट्स हैं. जिनकी रेंज 40 किमी, 120 किमी, 200-250 किमी और सबसे अधिक 400 किलोमीटर है. S-400 के चारों वैरिएंट्स की अलग-अलग गति है- 40 KM रेंज वाले की गति 3185 KM/घंटा है, 120 KM रेंज वाले की स्पीड लगभग 3675 KM/घंटा, 200 और 250 KM रेंज वाले की गति 7285 KM/घंटा है और 400 किमी रेंज वाले की गति 17,287 किलोमीटर प्रतिघंटा है. S-400 एयर डिफेंस एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम एक साथ दुश्मन की कई मिसाइलों पर हमला करने में सक्षम है.

 

इंडियन एयरफोर्स का मल्टीरोल फाइटर जेट डैसो राफेल को उड़ाने के लिए एक या दो क्रू की जरूरत होती है. लंबाई 50.1 फीट, विंगस्पैन 35.9 फीट, ऊंचाई 17.6 फीट और खाली वजन 10, 300 किलोग्राम है. इसमें 4400 से 4700 किलोग्राम फ्यूल आता है. यह अधिकतम 1912 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ता है. इसकी कॉम्बैट रेंज 1850 किलोमीटर है. यह अधिकतम 51,952 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है. राफेल जब सीधे आसमान की ओर उड़ान भरता है तब इसकी गति 304.8 मीटर प्रति सेकेंड होती है. इसमें 30 मिलिमीटर की एक 125 राउंड वाली ऑटोकैनन लगी है. इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स होते हैं वायुसेना के वर्जन के लिए और 13 नौसैनिक वर्जन के लिए. यानी सेनाओं के हिसाब से हथियार लगाने की सुविधा. इसमें हवा से हवा, हवा से जमीन, हवा से शिप और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. इसके अलावा इसमें कई तरह के बम लगा सकते हैं.

रूस की तरफ से भारत को मिला एक और दमदार फाइटर जेट. जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने अत्याधुनिक बनाया है. भारतीय वायुसेना में ऐसे 272 विमान मौजूद हैं. इसे उड़ाने के लिए दो पायलट लगते हैं. 21.93 मीटर लबें फाइटर जेट की अधिकतम गति 2120 किलोमीटर प्रतिघंटा है. युद्ध के दौरान यह पूरे हथियार के साथ 3000 किलोमीटर तक लगातार उड़ान भर सकता है. आमतौर पर यह 8000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. यह अधिकतम 17,300 मीटर की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें 12 हार्ड प्वाइंट्स हैं, जिनमें रॉकेट्स, मिसाइल और बम या फिर इनका मिश्रण बनाकर लगाया जा सकता है. यह राफेल के साथ मिलकर किसी भी युद्ध में कहर बरपा सकता है.

लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल. इसका उपयोग भारत की सभी सेनाएं करती हैं. इसका वजन 275 किलोग्राम और लंबाई 4.5 मीटर है. इसके ऊपर 60 किलोग्राम का वॉरहेड लगा सकते हैं. इसका डेटोनेशन सिस्टम हार्ड टू किल है. यानी गिरा तो दुश्मन पूरी तरह से खत्म. इसका रॉकेट बिना धुआं छोड़े उड़ता है, इसलिए यह आसमान में दिखाई नहीं देता. इसकी रेंज, 16 से लेकर 30 किलोमीटर तक है. जो 2469 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन की ओर बढ़ती है.

भारत की सबसे ताकतवर मिसाइलों में से एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल. इसका वजन 50 से 56 हजार किलोग्राम है. 17.5 मीटर लंबी यह मिसाइल 1500 किलोग्राम वजन का हथियार उठा सकती है. इसमें तीन स्टेज का सॉलिड फ्यूल रॉकेट लगा है. जो परमाणु हथियार ढोने की गजब की ताकत देता है. इसकी रेंज 5500 किलोमीटर है. यानी इसकी रेंज में चीन-पाकिस्तान समेत आधी दुनिया आती है. ऐसी मिसाइल के बारे में तो पाकिस्तान सोच भी नहीं सकता.

155 mm/45 कैलिबर टोड हॉवित्जर धनुष को साल 2019 में भारतीय सेना में शामिल किया गया है. यह बोफोर्स तोप का स्वदेशी वर्जन है. फिलहाल सेना के पास 12 धनुष है. 114 का ऑर्डर गया हुआ है. जिनकी संख्या अंत तक बढ़ाकर 414 की जा सकती है. अब तक 84 बनाए जा चुके हैं. इसे चलाने के लिए 6 से 8 क्रू की जरूरत होती है. इसके गोले की रेंज 38 किलोमीटर है. बर्स्ट मोड में यह 15 सेकेंड में तीन राउंड दागता है. इंटेंस मोड में 3 मिनट में 15 राउंड और संस्टेंड मोड में 60 मिनट में 60 राउंड. यानी जरूरत के हिसाब से दुश्मन के छक्के छुड़ा सकता है.

भारतीय नौसेना का स्वदेश निर्मित वीएल-एसआरएसएएम मिसाइल. इसका पूरा नाम है- वर्टिकल लॉन्च-शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल. इसे बराक-1 की जगह जंगी जहाजों में लगाए जाने की योजना है. यह मिसाइल 154 किलोग्राम वजनी है. यह मिसाइल करीब 12.6 फीट लंबी है. इसका व्यास 7.0 इंच है. इसमें हाई-एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जाता है. यह कम ऊंचाई पर उड़ने वाले दुश्मन के जहाज या मिसाइल को मार सकती है. इसकी रेंज 25 से 30 किलोमीटर है. यह अधिकतम 12 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है. इसकी गति बराक-1 से दोगुनी ज्यादा है. यह मैक 4.5 यानी 5556.6 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ती है. वीएल-एसआरएसएएम मिसाइल को किसी भी जंगी जहाज से दागा जा सकता है.