नई दिल्ली। एक 19 साल की लड़की ने दो जुड़वा बच्‍चों को जन्‍म दिया है जिनके बायोलॉजिकल पिता अलग-अलग हैं। ऐसा करोड़ों में से एक मामला होता है। यह 19 साल की लड़की ब्राजील के मिनेरिओस की है। उसने कहा कि उसने पैटरनिटी टेस्‍ट करवाया था क्‍योंकि उसे जानना था कि उसके बच्‍चों का पिता कौन है।

रिपोर्ट्स की मानें तो इस लडकी को अपने बच्‍चों के पिता को लेकर शक था और उसने उस इंसान का डीएनए टेस्‍ट करवाया जिससे उसे लगता था कि वो उसके बच्‍चों का पिता होगा। टेस्‍ट के बाद पता चला कि सिर्फ एक ही बच्‍चे का डीएनए टेस्‍ट पॉजिटिव आया है जबकि दूसरे बच्‍चे का डीएनए टेस्‍ट नेगेटिव था। इसके बाद उसे याद आया कि उसने उसी दिन किसी और मर्द के साथ भी सेक्‍स किया था। जब उस दूसरे इंसान का डीएनए टेस्‍ट किया गया, तो पता चला कि वो उसके दूसरे बच्‍चे के पिता हैं।

ऐसा हेट्रोपैटरनल सुपरफेकंडेशन की वजह से हो सकता है जो कि एक बायोलॉजिकल फेनोमेनन है। इसमें मासिक चक्र के दौरान रिलीज हुआ दूसरा ओवा किसी दूसरे मर्द के साथ सेक्‍स करने पर उसकी स्‍पर्म कोशिकाओं से फर्टिलाइज हो सकता है। फर्टिलाइजेशन के बाद बच्‍चा मां से अपना जेनेटिक मटीरियल शेयर करता है लेकिन अलग प्‍लेसेंटा में पनपता है।

सबसे पहले इस फेनोमनन को 1810 में आर्चर ने दर्शाया था। ऐसा इंसानों में बहुत दुर्लभ ही होता है। The Guardian की रिपोर्ट के अनुसार हेट्रोपैटरनल कुत्तों, बिल्लियों और गायों में ज्‍यादा कॉमन है।

इसमें दो स्थितियां हो सकती हैं – पहली महिला से एक ही समय पर दो एग रिलीज हो सकते हैं। चूंकि, स्‍पर्म कई दिनों तक जीवित रह सकता है इसलिए ऐसा हो सकता है कि एक आदमी से सेक्‍स करने पर पहले वाला एग रिलीज हुआ हो और दूसरो ओवुलेशन के तुरंत बाद। दूसरी स्थिति यह है कि महिला ने कुछ ही दिनों के अंदर दो एग रिलीज किए हों लेकिन एक ही मासिक चक्र के दौरान। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ऐसे सिर्फ 20 मामले ही अब तक सामने आए हैं।

जुड़वां बच्‍चों की बात करें तो आइडेंटिकल ट्विसं में एक सिंगल एग सिंगल स्‍पर्म से टूटकर दो जगह फर्टिलाइज होता है। इन ट्विंस के अलग-अलग पिता होना नामुमकिन है। हालांकि, फ्रेटरनल ट्विंस में जब दो अलग एग दो अलग स्‍पर्म से फर्टिलाइज होते हैं तो ये एक दूसरे से अलग दिख सकते हैं और ऐसा होना कॉमन नहीं है।

एमनिओसेंटेसिस और सीवीएस दो इनवेसिक प्रीनेटल टेस्‍ट हैं जो पैट‍रनिटी टेस्टिंग के लिए किए जाते हैं। इनवेसिव टेस्‍ट से मिसकैरेज का खतरा बढ़ सकता है। नॉन इनवेसिव प्रीनेटल पैटरनिटी टेस्‍ट के लिए प्रेग्‍नेंसी की पहली तिमाही में मां का खून लिया जाता है और फिर लैब में फीटल डीएनए की जांच की जाती है।