बिहार| राजधानी पटना के बख्तियारपुर में गोल्ड लोन के नाम पर बैंक से 5 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक शिवशंकर ने बख्तियारपुर थाने में 150 ग्राहक और 2 गोल्ड वेल्युअर के विरुद्ध धोखधड़ी का केस दर्ज कराया है। जानकारी के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा की माधोपुर शाखा में पिछले कई महीनों से कुछ बैंककर्मी और दो वेल्युअर की मिलीभगत से यह खेल चल रहा था।
नकली को वेल्युअर द्वारा असली सोना का सर्टिफिकेट दे दिया जाता था। इस तरह 150 ग्राहकों ने बैंक को 4.94 करोड़ का चूना लगा दिया। मामला तब उजागर हुआ जब कर्ज नहीं लौटने पर गिरबी रखे जेबरात की वैल्यु निकालने के लिए मशीन से इसकी जांच की गई। जांच में अधिकतर जेबरात काफी कम कैरेट (शुद्धता) के निकले। क्षेत्रीय प्रबंधक के अनुसार, ग्राहकों को बार-बार कहा गया। लेकिन, उन्होंने लोन चुकता नहीं किया।
वहीं, वेल्युअर भूमिगत हो गए हैं। बताया जाता है कि वेल्युअर ने ही लोगों को नकली के बदले असली का सर्टिफिकेट देने का प्रलोभन दिया और बदले में मोटी रकम वसूली। इधर, केस दर्ज होते ही पुलिस हरकत में आ गई है। साथ ही, ऐसी घटना अन्य बैंकों में भी होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
वहीं दूसरी तरफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने कर्ज पर लगने वाले ‘दंडात्मक ब्याज’ के लिए संशोधित नियम जारी किए हैं। इसके तहत अब बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) कर्ज भुगतान में चूक के मामले में संबंधित ग्राहक से दंडात्मक ब्याज नहीं वसूल कर सकेंगी। इसके बजाय उन पर उचित दंडात्मक शुल्क लगाया जा सकेगा। नई व्यवस्था एक जनवरी, 2024 से लागू होगी।
आरबीआई ने कहा, दंडात्मक ब्याज लगाने की मंशा कर्ज लेने वाले में ऋण को लेकर अनुशासन की भावना के लिए होती है। इसे बैंकों द्वारा अपना राजस्व बढ़ाने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। शुक्रवार को जारी अधिसूचना में आरबीआई ने बैंक और अन्य ऋण संस्थानों द्वारा दंडात्मक ब्याज के माध्यम से अपना राजस्व बढ़ाने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई है।
आरबीआई के नए नियम सभी बैंकिंग संस्थाओं पर लागू होंगे। इनमें वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां एक्जिम बैंक, नाबार्ड और सिडबी जैसे संस्थान शामिल हैं।