नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में आगामी एक सितंबर से बंद होने जा रहीं निजी शराब की दुकानों के कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आगे क्या करेंगे? निजी शराब की दुकानों पर काम करने वालों के मन में दुविधा है।

इस बाबत दक्षिण दिल्ली के लाजपत नगर इलाके में शराब की दुकान के एक सेल्समैन रामदत्त प्रजापति (45) ने कहा कि इस उद्योग में काम करने वालों का भविष्य दांव पर है। उन्होंने कहा कि मेरे पास शराब उत्पादों को बेचने के अलावा कोई अन्य कौशल नहीं है, इसलिए मैं इस तरह की नौकरी खोजने की कोशिश करूंगा।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर कुछ भी काम नहीं मिलता है, तो मुझे फल या सब्जियां बेचने का सहारा लेना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि मैं घर पर बेकार नहीं बैठ सकता, क्योंकि मेरा बच्चा है और पत्नी को खिलाने के लिए पैसे चाहिए होंगे।

इसी तरह का दर्द अशोक विहार में एक शराब की दुकान पर काम करने वाले मनीष व्यास (39) का भी है। वह भी अपने भविष्य के बारे में चिंतित हैं, जिससे उन्हें उत्तर प्रदेश के कासगंज में अपने गृहनगर स्थानांतरित करने के विकल्प पर विचार करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि जब आपके पास जिम्मेदारियां होती हैं तो अपनी नौकरी खोना आप के लिए परेशानी भरा होता है।उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि अगले महीने दुकान बंद होने के बाद मैं क्या करूंगा। अगर मुझे नई नौकरी नहीं मिली तो मुझे अपने गृहनगर लौटना होगा।

यहां पर बता दें कि दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार के एक बार फिर पुरानी आबकारी नीति पर लौटने का निर्णय लिया है। इसके बाद दिल्ली आबकारी विभाग ने एक सितंबर से भारतीय और विदेशी शराब की थोक बिक्री के लिए दुकानों को लाइसेंस जारी करने जा रहा है। इसके तहत दिल्ली में सितंबर से शराब की 500 नई दुकानें खोली जाएंगी।