लखनऊ। कोरोना महामारी के बीच बिजली उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज का बोझ बढ़ाने के प्रस्ताव का उपभोक्ताओं व उपभोक्ता संगठनों ने जबरदस्त विरोध किया है। सोमवार को राज्य विद्युत नियामक आयोग में नई दरों पर जनसुनवाई के दौरान बिजली कंपनियों को आड़े हाथों लिया गया। आयोग ने भी जनसुनवाई से ठीक पहले रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव दाखिल करने पर बिजली कंपनियों की खिंचाई की।
उपभोक्ताओं की तरफ से बिजली दरों में कमी की मांग उठाई गई। हालांकि कोरोना के असर के चलते पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष काफी कम लोगों ने ही दरों पर अपना पक्ष रखा है। बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल 2021-22 के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) व स्लैब परिवर्तन प्रस्ताव पर सोमवार को विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य कौशल किशोर शर्मा व विनोद कुमार श्रीवास्तव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की।
पहले दौर में पश्चिमांचल तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व केस्को की सुनवाई हुई। तीनों बिजली कंपनियों के अधिकारियों ने एआरआर का प्रस्तुतीकरण किया जबकि पावर कार्पोरेशन की रेगुलेटरी इकाई ने सभी बिजली कंपनियों के आंकड़ों का संकलित प्रस्तुत किया। दूसरे दौर में 19 मई को मध्यांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की जनसुनवाई होगी। इसके बाद आयोग बिजली दरों का निर्णय करेगा।
आयोग ने कंपनियों को दी नसीहतः
सुनवाई के दौरान कंपनियों के आला अधिकारियों की बोलती तब बंद हो गई जब नियामक आयोग के चेयरमैन ने सीधे कहा कि गोलमोल बात मत करें, बिजली दर बढ़ोतरी और रेगुलेटरी सरचार्ज पर अपनी राय बताएं? आरपी सिंह ने कहा कि उपभोक्ता परिषद 19537 करोड़ की देनदारी के एवज में बिजली दर कम करने की बात कर रहा है इसलिए उसे रोकने के लिए नियम विरुद्ध रेगुलेटरी सरचार्ज का प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया। उन्होंने बिजली कंपनियों को केंद्र सरकार की उदय योजना की गाइडलाइन को पढ़ने की नसीहत भी दे डाली।