नई दिल्ली. कई बार आपने नोटिस किया होगा कि टीनेज बच्चों में खासकर उनकी मनमानियां धीरे धीरे बढ़ने ही लगती है, जिसकी वजह से पैरेंट्स भी परेशान रहते हैं. ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता वह अपने ही बच्चों को कैसे उस वक्त हैंडल करें और उन्हें सही तरीके से समझा सकें. इस दौरान वह अपने ही बच्चों की शिकायत आस पड़ोस या फिर अपने पहचान के लोगों से करने लगते हैं. पर शिकायत करना कोई हल नहीं है इसका निवारण जरूरी है. आज हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बताने वाले हैं जिनकी मदद से आप अपने टीनेज बच्चों की मनमानियों पर कंट्रोल लगा सकते हैं. साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि उनके साथ ऐसा क्यों होता है.

टीएनजर्स बच्चों से पैरेंट्स की अक्सर यह शिकायत रहती है कि वह उनकी बातों को इग्नोर कर देते हैं. हर छोटी से बड़ी बातों या दिनचर्या को लेकर पैरेंट्स को बच्चों को टोकना पड़ जाता है.

टीनेज एक उम्र का ऐसा पड़ाव है जिसमें इस उम्र के बच्चों को ना तो बड़ो में गिना जाता है और ना छोटो में. इस समय बच्चे सही कहें तो खुद की आइडेंटिटी क्राइसिस से जूझ रहे होते हैं. ऐसे में बच्चे खुद की चीजों के लिए खुद निर्णय लेने के बारे में सोचते हैं और इसी दौरान उनसे कई गलतियां भी हो जाती हैं. जिसे देख कर उनके पैरेंट को लगता है बच्चे उनकी बात नहीं मानते उन्हें इग्नोर कर देते हैं.

बच्चों को उनके काम खुद करने देने के लिए प्रेरित करें. कोई भी घर के समान को खरीदने के लिए उनकी राय जरूर लें. ऐसा जरूरी नहीं कि आप उनकी हर बात मान लें पर उनके राय को जरूर शामिल करें. ऐसा करने से उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा.

टीनेज में बच्चे बहुत जल्दी ही गुस्सा हो जाते हैं. अगर गलती से भी आपने उनकी कोई गलती पर उन्हें टोक दिया तो वह बहुत जल्द गुस्सा हो जाएंगे.

आपको बतादें कि टीनेज बच्चों में गुस्सा होने की वजह है उनका इस उम्र में हॉर्मोन से जुड़े बदलाव. इसके अलावा इस उम्र में उनका एनर्जी लेवल काफी हाई होता है.

ऐसी परिस्थिति में बच्चों पर गुस्सा करने के बजाय उनसे प्यार से बात करें और चीजों को प्यार से ही समझाने की कोशिश करें. उन्हें कोशिश करें कि इनडोर एक्टिविटी के बदले आउटडोर ऐक्टिविटीज़ में इन्वॉल्व करने की कोशिश करें.

टीनेज एज में बच्चे कभी भी अपनी गलती मानने के बजाय बहस करने लगते हैं. जिसकी वजह से पैरेंट्स उन्हें डिसिप्लिन में ना रहने वाले मानने लगते हैं.

दरअसल इस उम्र में बच्चे मानसिक तौर पर मैच्योर नहीं हो पाते हैं पर वह अपने आपको यंग समझने की गलती कर देते हैं. जिसकी वजह से उनमें इगो की भावना आ जाती है. यही कारण है कि वह अपनी गलती नहीं मानते और बहस करते हैं.

जिस वक्त आपके सामने ऐसी परिस्थति आ जाए तो आप बच्चे को समझाने की नहीं बल्कि उसके हाल पर उसे वैसे ही छोड़ने की कोशिश करें. आप बाद में उसे प्यार से माफी मांगना, अपनी गलतियां मानना और सुधारने के बारे में सिखाएं.