नई दिल्ली। इस समय किसी एक दवा की अगर सबसे ज्यादा चर्चा चल रही है तो वो है डोलो-650. बुखार की दवा डोलो-650 के खिलाफ सुप्रीम कोर्टमें याचिका पर सुनवाई के दौरान एक पक्ष ने कथित रूप से यह दावा भी किया कि डोलो-650, जिसमें Paracetamol साल्ट 650mg है उसकी कीमत सरकारी नियंत्रण के बाहर है. इसकी कीमत दवा निर्माता कंपनी तय करती है, क्योंकि भारत सरकार केवल 500mg तक की पैरासिटामॉल दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करती है.

इस दावे की सच्चाई जानने के लिए जब हमारी टीम ने रिसर्च किया तो पाया कि सुप्रीम कोर्ट में एक पक्ष द्वारा कथित तौर पर किया गया दावा सरासर गलत है. दवाओं की अधिकतम कीमत तय करने वाली भारत सरकार की एजेंसी द्वारा 30 मार्च 2022 को दिए गए ऑर्डर में पैरासिटामॉल 650 mg की अधिकतम कीमत भी तय की गई थी. इस ऑर्डर में पैरासिटामॉल के अलावा कई दवाओं की अधिकतम कीमतें तय की गई थी.

NPPA ने मार्च 2022 में पैरासिटामॉल 650 mg की एक गोली की कीमत 2.04 रुपये तय की थी. इसके अलावा पैरासिटामॉल 500 mg की कीमत NPPA ने 1.01 रुपये तय की थी. ऐसे में यह तो साफ है कि पैरासिटामॉल 500 mg की कीमतों के साथ साथ पैरासिटामॉल 650 mg की कीमत भी सरकार ही तय करती है.

अब आपके मन मे सवाल होगा कि जब पैरासिटामॉल 500 mg की कीमत 1.01 रुपये तय की गई है तो पैरासिटामॉल 650 mg की कीमत दोगुने से ज्यादा 2.04 रुपये कैसे, क्योंकि दोनों के बीच में सिर्फ 150 mg का ही अंतर है. फार्मा कंपनी से जुड़े और प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के पूर्व सलाहकार नवीन जैन ने बताया कि वर्ष 2013 में UPA सरकार के दौरान दवाओं के दाम तय करने के मापदंड बदले गए थे. UPA सरकार ने दवाओं के दाम का मापदंड रॉ मटेरियल की कीमत की जगह बिक्री को तय किया था. इसी वजह से पैरासिटामॉल 650 mg की कीमत पैरासिटामॉल 500 mg से दोगुनी है.

डोलो-650 बनाने वाली कंपनी माइक्रोलैब्स का बचाव करते हुए नवीन जैन ने कहा डोलो-650 के अलावा अन्य जो भी कंपनियां पैरासिटामॉल 650 mg बनाती हैं वो भी लगभग उसी दाम पर अपना पैरासिटामॉल 650 mg दवा बेचती हैं, जिस दाम पर माइक्रोलैब्स डोलो को बेचती है. साथ ही जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट तक कथित रूप से यह कहा गया कि पैरासिटामॉल 650 mg के दाम सरकारी नियंत्रण से बाहर है, यह गलत है.

पैरासिटामॉल दवा का निर्माण करने वाली दवा कंपनियों की एक और समस्या नवीन जैन उठाते हुए कहा कि कोरोना से पहले पैरासिटामॉल दवा को बनाने का रॉ मटेरियल 300 रुपये किलो के आसपास था, जो आज 850 रुपये प्रति किलो हो गया है. ऐसे में दवा निर्माता कंपनियां सरकार से पैरासिटामॉल के अधिकतम दाम बढ़ाने के लिए पत्र लिख चुकी हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने दाम नहीं बढ़ाएं हैं.