दरंग. असम के दरंग जिले के बरगरा बगीचा में रहने वाले इंद्रा ने लाचारियों का रोना रोने के बजाय अपने लिए आत्मसम्मान दिलाने वाला रास्ता चुना. आज उनकी कहानी समाज के लिए एक मिसाल बन चुकी है. उन्होंने आने वाली मुश्किलों का डट कर सामना किया और ज़िंदगी जीने का जज़्बा दिखाया है.
मंज़िल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. आज हम जिस शख्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं ये कहावत उनके लिए बिलकुल फिट बैठती है. दोनों हाथ पैर होने के बावजूद कुछ लोग हार मान कर बैठ जाते हैं. कभी सोचा है कि दोनों हाथ और दोनों पैर न हों, तो जीवन यापन कैसे करेंगे?
इस बारे में सोचने पर भी डर लगता है? ये बात बिलकुल सच है कि हर किसी को अनुकूल परिस्थितियां नही मिलती हैं. कभी-कभी हमारे हालात हमें जिन्दगी में हार मानने के लिए बेबस कर देते हैं, लेकिन जीत उन्हीं की होती है जिनके हौसले बुलंद होते हैं.
मौत की दुआ मांगने वाला बन गया प्रेरणा
कभी जिन्दगी से हारकर, मौत की दुआ करने वाला एक शख्स आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन गया है. सोशल मीडिया पर ऐसे एक शख्स की कहानी वायरल हो रही है, जिसके न तो दोनों हाथ हैं और न ही दोनों पैर. मगर अपने हौसलों से आत्मनिर्भर बन चुके इंद्रा आज दिव्यांग लोगों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी मोटिवेशन का एक जीता जागता उदारण बन गए हैं. हालांकि यूट्यूब पर लोग इनको निखिल बराइक के नाम से जानते हैं.
करेंट लगे से बदल गई जिंदगी
इंद्रा ने बताया, उनका जन्म असम के एक गरीब परिवार में हुआ था. 2018 से पहले उनकी जिन्दगी ठीक चल रही थी. 2018 में उनकी शादी हुई. शादी के बाद एक बेटी. जिम्मेदारियां बढ़ी और जिम्मेदारियों के साथ खर्चे. इसलिए, वह एक टाइल्स फैक्ट्री में काम करने के लिए असम से बैंगलोर गए. जहां दुर्भाग्य से दो महीने बाद, काम करते वक्त शॉर्ट सर्किट के कारण उन्हें एक दुर्घटना का सामना करना पड़ा.
डॉक्टर ने परिवार को बताया, करेंट लगने के कारण पूरे शरीर में इन्फेक्शन फ़ैल रहा है. अगर उसके दोनों हाथ-पैर नहीं काटे गए तो वो ज़िंदा नहीं बचेंगे. परिवार चाहता था वो ज़िंदा रहे इसलिए उसे अपने हाथ पैर गवाने पड़े.
इस घटना के बाद वह अपने परिवार के लिए कोई ज़िम्मेदारी नहीं निभा सकते थे, लेकिन परिवार ने उन्हें अकेला नहीं छोड़ा. दुर्घटना के कुछ महीने बाद इंद्रा के पिता का निधन हो गया. जिसके बाद उसकी मां और बीवी चाय के बागान में काम कर के ज़िन्दगी गुज़र रहें थे.
स्मार्टफोन लाया नया सवेरा
सारा दिन इंद्रा घर में रहते और शरीर में इन्फेक्शन की वजह से उसको बहुत तकलीफ और बेचैनी रहती थी. एक समय ऐसा भी आया जब वह चाहते थे की मौत आ जाए. फिर उन्होंने किसी तरह कोशिश करके स्मार्टफोन पर समय बिताना शुरू किया. अपनी जीभ की मदद से उन्होंने स्मार्टफोन चलाना शुरू किया.
ज़ुबान से कैंडी क्रश जैसे गेम खेलने लगे, जिसमे एक बार उसे 5000 रुपये मिले. उन्होंने एक नया स्मार्टफोन खरीदा और PUBG गेम अपनी ज़ुबान से खेलना शुरू किया. इसमे कई बार अच्छे से न खेल पाने पे उनका मज़ाक बनाया जाता था और गालियां भी सुनने को मिलती थी. वो उन लोगों को समझाने की कोशिश करते थे की वो अपनी ज़ुबान से PUBG खेलते हैं लेकिन लोग उनका विश्वास नहीं करते थे.
ऐसे शुरू हुआ YouTube चैनल
तब उन्होंने सोचा की वो अपना वीडियो बनाकर उन लोगों को WhatsApp पर भेजेगा ताकि उन्हें यकीन हो जाए की वो हाथों से नहीं ज़ुबान से ही खेलता है. एक दोस्त ने आइडिया दिया की तुम ज़ुबान से खेलते हुए अपना वीडियो बना के यूट्यूब पे डाल दो और सबको लिंक शेयर कर दो. जिससे तुम्हें बार बार सबको वीडियो नहीं भेजना पड़ेगा.
इंद्रा ने अपना गेमिंग वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे अपने यूट्यूब चैनल’ADN Gaming YT’ पर अपलोड कर दिया. जिसपे उनको अच्छा रिपॉन्स मिला फिर फेस कैम वीडियो बनाना शुरू किया और लोगों का समर्थन मिलने लगा. देखने वाले लोग इस बात से बहुत हैरान थे कि वह अपनी जुबान से इतना अच्छा कैसे खेल लेते हैं.
उनका वीडियो कई यूट्यूब क्रिएटर्स तक पहुंचा और उन्होंने उनका समर्थन करना शुरू कर दिया. कुछ समय बाद वह गेमिंग कम्युनिटी में ख़बर बन गए और कई लोग उनकी मदद करने लगे. जिसके बाद से उनके ज्यादातर वीडियो वायरल होने लगे. इस तरह उनके यूट्यूब चैनल पर भारी मात्रा में सब्सक्राइबर आना शुरू हो गए और अब इसी यूट्यूब चैनल से वो अच्छे पैसे कमा रहें हैं. खबर लिखते वक़्त उनके 1 Million से भी ज़्यादा सब्सक्राइबर्स थे.