नई दिल्ली. कांग्रेस के भीतर मची उठापटक और हो रहे तमाम इस्तीफों के बाद संकेत मिल रहे हैं कि गांधी परिवार से फिलहाल कोई भी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए इस बार उम्मीदवारी नहीं जताएगा। हालांकि इसे लेकर पार्टी के प्रमुख नेता कुछ भी नहीं बोल रहे हैं बल्कि कई जिम्मेदार तो लगातार अभी भी राहुल गांधी को ही अध्यक्ष बनाने के लिए माहौल बना रहे हैं। वैसे कहने को तो कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावों का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। जानकारों का कहना है कि पार्टी आलाकमान ने इस बार होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में संगठन की जबरदस्त रिस्ट्रक्चरिंग करने की पूरी योजना बनाई है।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में तय हुआ है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए 24 से 30 सितंबर के बीच में नामांकन प्रक्रिया पूरी की जाएगी। नामांकन एक से ज्यादा होंगे तो आठ अक्तूबर तक नामांकन वापसी की प्रक्रिया होगी। ऐसी ही दशा में 17 अक्तूबर को वोट डाले जाएंगे और कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन निर्वाचित हुआ है, इसके बारे में 19 अक्तूबर को बताया जाएगा। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी की पूरी रिस्ट्रक्चरिंग होने की उम्मीद है। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर पूरी कार्यकारिणी तक में जबरदस्त बदलाव देखा जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा तो अभी भी राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर आमादा है, लेकिन राहुल गांधी ने इसकी हामी नहीं भरी है। कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि राहुल गांधी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए न सिर्फ मना किया है बल्कि स्वतंत्र रूप से चुनाव कराने के लिए कहा है। क्योंकि राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हो रही हैं कि कांग्रेस का कोई कठपुतली प्रत्याशी ना हो। कांग्रेस के ही कुछ वरिष्ठ नेता होने वाले चुनावों में कठपुतली अध्यक्ष बनाए जाने की आशंका जता चुके हैं। हाल में ही पार्टी छोड़कर गए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इसी तरह इशारा किया था। ऐसे में पार्टी के लिए अब एक बड़ी चुनौती भी सामने है।

संगठन से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर के दो बातें महत्वपूर्ण नजरिए से देखी जा सकती हैं। वह कहते हैं कि पहली बात तो यह है कि जिस तरीके से पार्टी में लगातार बड़े नेता संगठन छोड़कर जा रहे हैं, उस पर आलाकमान ने न सिर्फ गौर किया है बल्कि उस पर गहन मंथन भी किया है। वह कहते हैं कि निश्चित तौर पर ज्यादातर लोग अपना नफा-नुकसान देखकर के ही पार्टी छोड़ कर गए हैं। बावजूद इसके उन्होंने पार्टी पर कई तरह के सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि ऐसे ही सवालों के मद्देनजर पार्टी आलाकमान ने विचार-विमर्श भी किया है। सूत्रों के मुताबिक आलाकमान की महत्वपूर्ण बैठक में इस बात को लेकर चर्चा हुई है कि गांधी परिवार से कोई भी चुनावी मैदान में नहीं उतरेगा। हालांकि उसी दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी या सोनिया गांधी को ही अध्यक्ष बनाने के लिए राजी करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसमें फिलहाल कोई सफलता नहीं दिखी है। पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने स्पष्ट रूप से लोकतांत्रिक तरीके से चुनावी प्रक्रिया को न सिर्फ अपनाने को कहा है, बल्कि पार्टी को नई दशा और दिशा देने के लिए किए जाने वाले सभी उपायों पर ही आगे बढ़ने के लिए अपनी नीतियां भी बनाई हैं।

कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि बीते कुछ दिनों में जितने बड़े नेताओं ने पार्टी को छोड़ा है, उन सब लोगों ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर ही सवालिया निशान लगाए हैं। हालांकि उनका कहना है कि पार्टी छोड़ने वाला जब राहुल गांधी जैसे नेता पर सवालिया निशान लगा कर जाता है, तो उसके मायने निश्चित तौर पर तलाशे ही जाते हैं। लेकिन उसका एक पहलू यह भी देखा जाता है कि जाने वाला नेता क्या किसी दूसरी पार्टी में गया है या नहीं। वह कहते हैं क्योंकि दूसरी पार्टी में जाने वाला व्यक्ति निश्चित तौर पर जब पार्टी छोड़ता है तो किसी न किसी के ऊपर आरोप लगाकर छोड़ता है। उक्त कांग्रेसी नेता का कहना है कि लगातार उठ रहे सवालों के बीच में अगर राहुल गांधी अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन कराते हैं, तो निश्चित तौर पर यह कदम तो बहुत बड़ा होगा लेकिन इसकी संभावना फिलहाल बिल्कुल नजर नहीं आ रही हैं। इसके अलावा राहुल गांधी खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से इंकार कर चुके हैं।

कांग्रेस पार्टी की कई कमेटियों में अहम जिम्मेदारी निभा चुके एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि सोनिया गांधी जब प्रधानमंत्री जैसे पद को ठुकरा सकती हैं, तो वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए हामी भरेंगी ऐसा मुश्किल लगता है। हालांकि उनका कहना है देश के प्रधानमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्तर पर बड़ा फर्क होता है। सोनिया गांधी का प्रधानमंत्री का पद का त्याग करना बताता है कि उन्हें सत्ता की चाह नहीं थी, जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए यह नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संगठन को मजबूत करने के लिए ही होता है और वरिष्ठ नेता का त्याग यहां पर पार्टी को नुकसान कर सकता है। हालांकि उक्त कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि जिस तरीके के हालात इस वक्त बने हैं और पार्टी पर लगातार सवालिया निशान लगाकर लोग संगठन छोड़ रहे हैं, उससे अब पार्टी अपनी एक पुरानी इमेज से बाहर निकलना चाह रही है। ऐसे में संगठन के पास गांधी परिवार के अलावा किसी दूसरे युवा और वरिष्ठ नेता को आगे ला सकती है। हालांकि अभी सार्वजनिक रूप से तो इसकी कोई आधिकारिक सूचना और घोषणा नहीं हुई है लेकिन अंदरूनी तौर पर इस पर चर्चा हुई है।