नई दिल्ली. सिद्धि विनायक श्री गणेश जी का प्रादुर्भाव भादो महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। ऐसी शास्त्रीय मान्यता है। शास्त्रों के अनुसार गणेशजी को रिद्धि-सिद्धि और सुख-समृद्धि का दाता माना जाता है। भादो महीने की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का पूजन भारत के दक्षिण, पश्चिम में अधिक प्रचलित है। गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला भादो शुक्ल चतुर्थी का पर्व महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है दक्षिण पश्चिम प्रान्तो में यह पर्व 11 दिनों तक चलता है। गणेश उत्सव का पर्व 31 अगस्त से शुरू होकर 9 सितंबर तक चलेगा। घर में सुख शांति समृद्धि बनी रहती है इसलिए सभी को गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी का पूजन आवश्यक रूप से करना चाहिए।
बुधवार को विराजित होंगे भगवान गणेश
गणेश जी की पूजन के संदर्भ में ऐसी मान्यता है कि किसी भी पूजन में उनकी पूजा होती है परंतु गणेश उत्सव में गणेश जी प्रधान होते हैं। इनमें पंडित रखकर तथा घरों में भी स्वयं अथवा ब्राह्मण से पूजा करवाई जाती है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष चतुर्थी तिथि का आरंभ 30 अगस्त को दिन 2.23 बजे से हो रहा है। जो 31 अगस्त को दिन 1.49 बजे तक इसलिए गणेश जी का पूजन 31 अगस्त को किया जाएगा चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में भ्रमण करते हुए सूर्योदय से लेकर दिन 11.50 तक कन्या राशि में रहेंगे। उसके बाद तुला राशि में चंद्रमा का भ्रमण होगा दैनिक योगों में शुक्ल नामक योग रहेगा।
गणेश पूजन से मिलेगा लाभ
गणेश जी के पूजन से सुख शांति एवं समृद्धि के लिए भगवान गणेश का पूजन विधिवत किया जाता है। पंचोपचार , षोडशोपचार या उपलब्ध सामग्री से पूजन करने से भी गणेश जी के भोग में लड्डू का होना अनिवार्य होता है। इन्हें पीले वस्त्र और पीले पुष्प अधिक पसंद है धन की अधिष्ठात्री रिद्धि एवं सिद्धि इन की दो पत्नियां हैं जिनका पूजन इनके साथ होता है। शुभ और लाभ दो उनके पुत्र हैं जिसकी सभी को आवश्यकता होती है इसलिए गणेश पूजन के बाद घर के मुख्य द्वार पर एक और रिद्धि और दूसरी और सिद्धि लिखने के बाद शुभ लाभ लिखने से घर की नकारात्मक शक्तियां का विनाश होता है।