नई दिल्ली. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने के बाद दुनिया भर की करेंसीज डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं. फेडरल रिजर्व का संकेत मिलने के बाद इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजरों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट झोंक रहे हैं. इस कारण भारतीय मुद्रा ‘रुपया (INR)’ समेत तमाम अन्य करेंसीज के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है. रुपये की बात करें तो इसकी वैल्यू पिछले कुछ समय के दौरान बड़ी तेजी से कम हुई है. रुपया लगातार एक के बाद एक नए निचले स्तर पर पहुंचता जा रहा है. आज सोमवार को शेयर बाजारों में भारी गिरावट के बीच रुपये ने भी गिरने का नया रिकॉर्ड बना दिया और नए सर्वकालिक निचले स्तर तक गिर गया.
रुपये ने बनाया नया ऑल टाइम लो
रुपया इससे पहले भी जुलाई महीने में एक बार कारोबार के दौरान 80 के स्तर से नीचे जा चुका है, लेकिन बाद में सेशन के दौरान भारतीय करेंसी रिकवर करने में सफल रही थी. इंटरबैंक फॉरेक्स एक्सचेंज पर आज जैसे ही कारोबार की शुरुआत हुई, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 0.25 फीसदी गिरकर 80.03 के स्तर पर आ गया. इससे पहले रुपया आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80.07 के लेवल पर खुला था और एक समय 80.13 के स्तर तक गिरा था. यह रुपये के लिए नया ऑल टाइम लो है.
आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अब तक रुपया करीब 7 फीसदी कमजोर हो चुका है. रुपये की वैल्यू अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार कम होते गई है. अभी प्रमुख मुद्राओं के बास्केट में डॉलर के लगातार मजबूत होने से भी रुपये की स्थिति कमजोर हुई है. करीब दो दशक बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यूरो की वैल्यू कम हुई है, जबकि यूरो (Euro) लगातार अमेरिकी डॉलर से ऊपर रहता आया है. भारतीय रुपये की बात करें तो दिसंबर 2014 से अब तक यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करीब 25 फीसदी कमजोर हो चुका है. रुपया साल भर पहले अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था.
अन्य देशों की करेंसी का भी बुरा हाल
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सिर्फ भारतीय रुपये की वैल्यू ही कम नहीं हो रही है. आंकड़ों पर गौर करने से पता चलता है कि अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में रुपये ने फिर भी अमेरिकी डॉलर के सामने कुछ दम दिखाया है. अन्य करेंसीज की वैल्यू रुपये से भी ज्यादा गिरी है. एशियाई करेंसीज की बात करें तो बीते 24 घंटे के दौरान दक्षिण कोरियाई वॉन (South Korean Won) में सबसे ज्यादा 1.3 फीसदी गिरावट देखने को मिली है. इसके अलावा थाईलैंड के बहत में 0.8 फीसदी, जापान के येन में 0.64 फीसदी, चीन के रेन्मिन्बी में 0.6 फीसदी, ताइवान के डॉलर में 0.6 फीसदी, मलेशिया के रिंगिट में 0.5 फीसदी, इंडोनेशिया के रुपिया में 0.43 फीसदी और सिंगापुर के डॉलर में 0.34 फीसदी की गिरावट आई है.
इन कारणों से बढ़ रहा है डॉलर का भाव
दरअसल बदलते हालात ने पूरी दुनिया के ऊपर मंदी का जोखिम खड़ा कर दिया है. अमेरिका में महंगाई 41 सालों के उच्च स्तर पर है. इसे काबू करने के लिए फेडरल रिजर्व तेजी से ब्याज दरें बढ़ा रहा है. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का फायदा अमेरिकी डॉलर को मिल रहा है. मंदी के डर से विदेशी निवेशक उभरते बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षित इन्वेस्टमेंट के तौर पर डॉलर खरीद रहे हैं. इस परिघटना ने अमेरिकी डॉलर को अप्रत्याशित तरीके से मजबूत किया है. इसी कारण कई दशक बाद पहली बार अमेरिकी डॉलर की वैल्यू यूरो से भी ज्यादा हो गई है, जबकि यूरो अमेरिकी डॉलर से महंगी करेंसी हुआ करती थी.