नई दिल्‍ली। गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से इस्‍तीफा देना और फिर पीएम मोदी की जमकर तारीफ करना कुछ और ही संकेत दे रहा है। ये संकेत अभी से नहीं मिल रहे हैं बल्कि इस संकेतों की असल शुरुआत राज्‍यसभा में आजाद के अपना कार्यकाल पूरा करने के दौरान हुई थी। उस वक्‍त पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने जमकर उनकी तारीफ की थी। इसके जवाब में आजाद की तरफ से भी राज्‍यसभा में काफी कुछ पीएम की तारीफ में कहा गया था।

कहा ये भी जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद की नजरें राज्‍यसभा सीट पर लगी हैं। सरकार की तरफ से मनोनीत किए जाने वालों राज्‍यसभा सदस्‍यों की संख्‍या अभी पूरी नहीं हुई है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्‍व को कोसना उनके लिए इनाम की सौगात ला सकता है। वहीं दूसरी तरफ पिछले सभी ट्रेंड्स बता रहे हैं कि कांग्रेस से नाता तोड़ने वालों का रुख एक सा ही रहा है और उनमें से अधिकतर लोग भाजपा के साथ जाकर बैठ गए हैं। ऐसे में गुलाम नबी आजाद को लेकर जो बातें कही जा रही हैं वो कुछ अलग भी नहीं हैं।

वरिष्‍ठ राजनीतिक विश्‍लेषक कमर आगा मानते हैं कि मौजूदा समय में कांग्रेस की स्थिति पूरे देश में खराब हो चुकी है। राज्‍यसभा में कांग्रेस की तरफ से जाना अब इसलिए भी मुश्किल हो गया है क्‍योंकि यहां पर भी उसकी स्थिति खराब है। आने वाले समय में जिन राज्‍यों में कांग्रेस की सरकार है वहां पर भी वो बनी रहेगी ये कहना भी काफी कठिन हो चुका है।

कांग्रेस को तिलांजलि देने वाले आजाद जम्‍मू कश्‍मीर के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं। यदि ये कहा जाए कि मौजूदा समय में कांग्रेस के लिए वो जम्‍मू कश्‍मीर में सबसे बड़े नेता थे तो गलत नहीं होगा। उनके कांग्रेस से जाने और पीएम की तारीफ के सीधे मायने ये लगाए जा सकते हैं कि शायद वो दूसरे कई नेताओं की ही तरह भाजपा के खेमे में जा सकते हैं।

यदि ऐसा होता है तो गुलाम नबी आजाद के रूप में भाजपा को एक बड़ा चेहरा जम्‍मू कश्‍मीर के लिए मिल जाएगा। सरकार की तरफ से जम्‍मू कश्‍मीर में विधानसभा चुनाव करवाए जाने की भी बात कही जाती रही है। ऐसे में ये कहना भी गलत नहीं होगा कि जम्‍मू कश्‍मीर में भाजपा के पाले में बैठने पर आजाद को वहां का सीएम कैंडिडेट बनाया जा सकता है। गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के दौर में भी जम्‍मू कश्‍मीर के सीएम रह चुके हैं।

इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि कांग्रेस में रहकर अपना राजनीतिक भविष्‍य तलाशना अब काफी हद तक मुश्किल हो चुका है। वहीं कांग्रेस नेतृत्‍व और चाटूकारिता पार्टी को कमजोर करने में लगे हुए हैं। इन दोनों के गलत कदमों से कांग्रेस अपना जनाधार पूरी तरह से खो चुकी है। मौजूदा समय में मुद्दों के होते हुए भी कांग्रेस उन्‍हें उठाने में नाकाम भी इसलिए रही है क्‍योंकि वो केवल अपने में ही खोई हुई है।