नई दिल्ली. आजकल तापमान में थोड़ी गिरावट जरूर हुई है. लेकिन अभी गर्मी से उतनी राहत नहीं मिली है. ऐसे में ठंडा पानी आपको राहत देता है. डॉक्टर अक्सर मिट्टी के मटके में रखे पानी को बेहतर बताते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा कि मिट्टी का मटका बिना किसी बिजली या बाहरी उपकरण के पानी को फ्रिज की तरह ठंडा कर देता है. आपको बता दें कि इसके पीछे एक बहुत बेसिक सांइस काम करती है. जो पानी को ठंडा करता है. ये बेसिक सांइस आपने कक्षा 7वीं या 8वीं में ही जान ली होगी. पर याद नहीं तो कोई बात नहीं, हम फिर से आपको याद दिला देते हैं.

जब आप 10वीं कक्षा के पहले की सांइस की किताबें पढ़ते थे तो एक ‘वाष्पीकरण’ शब्द बहुत बार आपके सामने आया होगा. यही वो सांइस है, जो मटके के पानी को ठंडा करता है. वाष्पीकरण की क्रिया जितनी अधिक होगी मटके का पानी उतना ही ठंडा होगा. आइए समझते हैं कि ये कैसे काम करता है. मिट्टी के किसी भी बर्तन में वाष्पीकरण की क्रिया इस वजह से संभव हो पाती है, क्योंकि मिट्टी के बर्तन के सर्फेस पर छोटे-छोटे छेद होते हैं और इन छेदों से होकर पानी बाहर की ओर आता है. जो भाप में बनकर हवा में उड़ जाता है. भाप बनने की ये क्रिया वाष्पीकरण कहलाती है जो आपको ठंडा पानी उपलब्ध कराती है.

वाष्पीकरण के जिस पाठ को अभी आपने ऊपर पढ़ा है. वो जितना अधिक होगा, पानी की ठंडक और बढ़ती जाएगी. वाष्पीकरण की ये क्रिया गर्मियों में तेज हो जाती है. जिसकी वजह से मटके के अंदर का तापमान कम बना रहता है. आपको बता दें कि कई रिपोर्ट्स में इस पानी के अलग-अलग फायदे बताए गए हैं. इससे आपके बॉडी की इम्यूनिटी भी बढ़ती है और शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर भी ठीक बना रहता है.