नई दिल्ली. नेशनल पेंशन सिस्टम में पॉइंट्स ऑफ प्रजेंस का समर्थन करने के लिए पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण ने ट्रेल कमीशन को लेकर नियमों में बदलाव किया है। ट्रेल कमीशन वह राशि होती है, जिसका भुगतान कोई निवेश करने पर आप अपने फाइनेंशियल एडवाजर को करते हैं।

पेंशन फंड नियामक ने यह स्पष्ट किया है कि एनपीएस में योगदान पर ट्रेल कमीशन का भुगतान डी-रेमिट के जरिए किया जाएगा और यह ईएनपीएस (कमीशन में ऑनलाइन माध्यम से योगदान) की तरह ही होगा। यह उन सब्सक्राइबर्स के द्वारा किया जाएगा, जिन्हें POPs ने एनपीएस सिस्टम से जोड़ा है।

PFRDA ने ट्रेल कमीशन पर जानकारी देते हुए कहा कि एनपीएस खातों की सोर्सिंग के लिए किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों को देखते हुए POPs के समर्थन के लिए यह निर्णय लिया गया है। POPs को ट्रेल कमीशन का भुगतान का नियम 1 सितंबर से लागू हो गया है।

POPs के भुगतान के चार्ज स्ट्रक्चर को पीएफआरडीए ने 31 जनवरी को जारी किया था। POPs के साथ जुड़े सब्सक्राइबर्स के डी-रेमिट योगदान के लिए एनपीएस में जमा की जाने वाली राशि का 0.20 फीसदी ही ट्रेल कमीशन के रूप में लिया जाएगा। यह न्यूनतम 15 रुपये और अधिकतम 10,000 रुपये हो सकता है। लागू शुल्क यूनिट कटौती द्वारा वसूल किए जाएंगे।

हाल ही में पीएफआरडीए ने एनपीएस सब्सक्राइबर्स के डी-रेमिट सुविधा शुरू की है, जिसके माध्यम से सभी सब्सक्राइबर्स वर्चुअल आईडी बनाकर अपनी इच्छा के मुताबिक एनपीएस में योगदान दे सकते हैं। यह स्टेटिक वर्चुअल आईडी पीआरएएन से लिंक होता है।

नेट बैंकिंग/आईएमपीएस/यूपीआई के माध्यम से अपने बचत खाते से पीआरएएन में पैसा जमा करने की सुविधा के लिए डी-रेमिट की परिकल्पना ‘ग्राहक केंद्रित उपाय’ के रूप में की गई है। यदि ट्रस्टी बैंक सुबह 9.30 बजे से पहले योगदान प्राप्त करता है, तो इस सुविधा के कारण यह उसी दिन एनएवी में दिखने लगेगा। डी-रेमिट अपने उपयोग में आसानी, ऑटो डेबिट की सुविधा, ऑटो डेबिट राशि को बदलने, ऑटो डेबिट को रोकने आदि के कारण काफी लोकप्रिय हो गया है।