लखनऊ. कई राज्यों में बच्चा चोरी के शक में भीड़ ने लोगों पर कुछ लोगों पर हमला कर दिया। सहारनपुर में तो एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर ये माजरा क्या है? क्यों ऐसी घटनाएं हो रहीं हैं? इसके पीछे कौन लोग हैं? पुलिस और सरकार इसको लेकर क्या कर रही है? इन घटनाओं पर पुलिस ने क्या कहा और ऐसी परिस्थति में आपको क्या करना चाहिए? आइए हम आपको बताते हैं…
बीते कुछ दिनों से देशभर में बच्चा चोरी के शक में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। कुछ मामलों में भीड़ की हिंसा लोगों की जान तक ले ली। इस तरह के मामले उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश समेत 10 से ज्यादा राज्यों में आ चुके हैं। कुछ उदाहरण देखिए…
केस-1: सहारनपुर के देवबंद में आठ सितंबर की देर रात 19 साल का शाहरुख अपने दोस्त सलमान, दिलशाद और समीर के साथ मुजफ्फरनगर स्थित अपने घर लौट रहा था। ये सभी मजदूरी करते थे और काम से वापस घर लौट रहे थे। इसी दौरान उसे सहारनपुर के परौली गांव के पास कुछ लोगों की भीड़ ने रोक लिया। पहले भीड़ ने नाम पूछा और फिर गोली मार दी। मौके पर ही शाहरूख की मौत हो गई। पुलिस ने मामले की जांच की तो मालूम चला कि स्थानीय लोगों ने बच्चा चोर समझकर उसे गोली मार दी थी।
केस-2: सहारनपुर के देवबंद में ही शुक्रवार को एक गांव के लोगों ने महिला और पुरुष को बच्चा चोर समझकर बुरी तरह से पीट दिया। किसी तरह दोनों भीड़ से बचकर पुलिस थाने पहुंचे और अपनी जान बचाई। इसी तरह स्थानीय लोग एक मनोरोगी पर भी बच्चा चोर समझकर टूट पड़े। उसे भी जमकर पीट दिया।
केस-3: उन्नाव के माखी थाना क्षेत्र में शुक्रवार रात लोगों ने एक युवती और दो युवकों को बंधक बना लिया। उन्हें खेत में गड़े खंभे में कंटीले तार के साथ बांध दिया और जमकर पीटा। किसी ने बच्चा चोर होने की सूचना पुलिस को दी। बाद में मालूम चला कि ये तीनों किसी रिश्तेदार के यहां से लौटकर अपने घर जा रहे थे।
केस-4: कासगंज के रिलायंस नेटवर्क में काम करने वाले चार युवक एक कार से जा रहे थे। चारों किसी मोबाइल नेटवर्क टॉवर की टेस्टिंग के लिए निकले थे। इतने में स्थानीय लोग पहुंच गए। लोगों ने पहले चारों को कार से बाहर निकालकर पूछताछ की और फिर बच्चा चोर कहकर उनकी जमकर पीटाई कर दी। यही नहीं, मौके पर पुलिस को भी बुला ली। पुलिस के सामने ही स्थानीय लोगों ने चारों को कार में बिठाया और उसे पलट दी। बाद में पुलिस ने पूछताछ की तो मालूम चला कि ये चारों मोबाइल नेटवर्क की टेस्टिंग के लिए निकले थे।
ये माजरा क्या है? क्यों ऐसी घटनाएं हो रहीं हैं? इसके पीछे कौन लोग हैं? पुलिस और सरकार इसको लेकर क्या कर रही है? इन घटनाओं पर पुलिस ने क्या कहा और ऐसी परिस्थति में आपको क्या करना चाहिए? आइए हम आपको बताते हैं…
सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो, फोटो और मैसेज वायरल हो रहे हैं, जिनमें बच्चा चोरी गिरोह सक्रिय होने का दावा किया जा रहा है। इनमें कहा जा रहा है कि ये गिरोह बच्चों की हत्या करके उनके अंगो की तस्करी करते हैं। इस तरह की अफवाहों का असर ये है कि लोग हर अनजान शख्स को बच्चा चोर की नजर से देखने लगे हैं।
बच्चा चोरी की बढ़ती अफवाह को देखते हुए उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर का बयान आया है। उन्होंने ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया है। उन्होंने सभी जिलों के पुलिस अफसरों से कहा है कि वह बच्चा चोरी की सूचना को गंभीरता से लें। मौके पर जाएं और खुद परीक्षण करें। लेकिन, अगर कोई जानबूझकर इस तरह की फर्जी अफवाह फैलाता है तो उसके खिलाफ भी सख्ती से कार्रवाई करें। अफवाह फैलाने वाले लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया जाए। ऐसे लोगों के खिलाफ 7 सीएलए एक्ट के तहत मुदकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
इसी तरह उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार पुलिस ने भी बयान जारी कर इस तरह की अफवाहों पर ध्यान न देने की बात कही है। पुलिस ने ये भी साफ किया है कि अगर कोई इस तरह की अफवाह फैलाता हुआ पकड़ा जाएगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उसे जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
ये समझने के लिए हमने चाइल्ड वेलफेयर के लिए काम करने वाली डॉ. रितु आहूजा से बात की। डॉ. रितु ने कहा, ‘बच्चों के चोरी होने की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। लेकिन अभी जिस तरह से इसको लेकर अफवाह फैलाई जा रही है, वो चिंताजनक है। इसके चलते लोग हर अनजान शख्स को बच्चा चोर ही समझ ले रहे हैं। यही कारण है कि कई जगह मारपीट और हत्या जैसे मामले हो चुके हैं। इसपर रोक लगाने की जरूरत है। यह तभी होगा जब आप और हम खुद से जागरूक और सतर्क होंगे।’
डॉ. रितु आगे बताती हैं कि आज के समय लोगों को दोनों तरह से सावधान रहने की जरूरत है। पहला तो खुद के बच्चों को सुरक्षित रखने की और दूसरा किसी तरह की अफवाह को फैलने से रोकने की। डॉ. रितु ने तीन पॉइंट्स में बताया कि कैसे इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है?
अगर आपका बच्चा अभी अस्पताल में है तो ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। दिन रात कोई न कोई बच्चे के साथ रहे। अगर आपको अंदर जाने की अनुमति नहीं है तो डॉक्टर या हॉस्पिटल स्टाफ से बात करके बच्चे की निगरानी की बात कहें।
अगर आपका बच्चा घर में है और उसकी उम्र पांच साल से कम है तो भी उसे अकेला न छोड़ें। हमेशा उसके साथ रहें। रात में सोते समय भी ये ध्यान रखें कि बच्चे को बाहर खुले में न सुलाएं।
पांच साल से बड़े बच्चों को यह समझाएं कि वह किसी बाहरी से खाने वाली कोई चीज न लें। मसलन अगर कोई टॉफी, चॉकलेट, आइसक्रीम या कुछ अन्य खाने वाली चीज देता है तो उससे न लें।
बच्चों को खेलने के लिए अगर भेज रहे हैं, तो भी उनपर नजर बनाए रखें। उन्हें कहीं दूर न जानें दें। बच्चों को यह भी समझाएं कि वह किसी अनजान शख्स के साथ कहीं न जाए। फिर वह घर ले जाने की बात ही क्यों न कर रहा हो।
स्कूल जाते और आते समय बच्चों का ख्याल रखें। उन्हें या तो खुद या परिवार के किसी सदस्य को छोड़ने और लाने के लिए भेजें या फिर स्कूल बस, ऑटो या रिक्शा को तय करें। इनके चालक और कंडक्टर की पुलिस वैरीफिकेशन जरूर होनी चाहिए।
2. बच्चा चोर के शक होने पर क्या करें?
अगर आपको किसी अनजान शख्स पर शक है तो इसकी सूचना पुलिस को दें। खुद उससे भिड़ने या उसे पकड़कर मारने की कोशिश न करें। ऐसा करने पर आप के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
अगर किसी संदिग्ध के पास बच्चा है और आपको उसपर शक है तो भी आप पुलिस को ही सूचना दें। अगर आपको लगता है कि पुलिस के आने तक वह भाग सकता है, तो उसका पीछा कर सकते हैं। बगैर उसे मालूम चले उसकी फोटो भी खींच सकते हैं।