पटना। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति यानी बिहार बोर्ड से परीक्षा देने वाले या दे चुके लोगों के लिए यह बड़ी खबर है। बोर्ड से अब मैट्रिक या इंटर परीक्षा पास करने का द्वितीय यानी डुप्लीकेट प्रमाण पत्र, अंक पत्र या प्रवेश पत्र निकालने के लिए मोटी रकम खर्च करनी होगी। द्वितीय प्रमाण पत्र के लिए आप जितनी अधिक देर से बोर्ड में जाएंगे, जेब उतनी ही अधिक ढीली होगी।
बिहार बोर्ड ने द्वितीय प्रमाण पत्र, द्वितीय अंक पत्र एवं प्रवेश पत्र निकालने वाले परीक्षार्थियों से प्रोसेसिंग शुल्क लेने का निर्णय लिया है। काफी संख्या में विद्यार्थी सफलता प्राप्त करने के वर्षों बाद प्रमाण पत्रों की मांग कर रहे हैं। बोर्ड द्वारा प्रोसेसिंग शुल्क लेने का आदेश लागू कर दिया गया है।
बोर्ड का कहना है कि मैट्रिक एवं इंटर में सफलता प्राप्त करने के 15 वर्ष बाद या उससे अधिक दिनों बाद द्वितीय प्रमाण पत्र निकालने पर परीक्षार्थी को 2500 रुपये प्रोसेसिंग शुल्क देना होगा। परीक्षा के वर्तमान वर्ष में द्वितीय प्रमाण पत्र निकालने पर 200 रुपये प्रोसेसिंग शुल्क लगेगा। वहीं सफलता के पांच वर्ष तक द्वितीयक प्रमाण पत्र निकालने पर 500 रुपये एवं दस वर्ष तक प्रमाण पत्र निकालने पर 1000 रुपये शुल्क देना होगा।
तत्काल के लिए 500 रुपये शुल्क देना होगा। बोर्ड द्वारा द्वितीय प्रमाण पत्र का शुल्क 175 रुपये, द्वितीय अंक पत्र के लिए 125, प्रवेश पत्र के लिए 100 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। पुनरीक्षण शुल्क 120 रुपये निर्धारित किया गया है।
बिहार बोर्ड से मूल प्रमाणपत्र पाने के लिए छात्र-छात्राओं को अलग से कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। दरअसल, रजिस्ट्रेशन और परीक्षा शुल्क के तौर पर ही प्रवेश पत्र, अंक पत्र और मूल प्रमाण पत्र के लिए राशि ले ली जाती है। अगर किसी छात्र का मूल प्रमाणपत्र खो या नष्ट हो गया हो, तो उसे डुप्लीकेट प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है।