कोडरमाग। गुड मार्निंग और वेलकम कहकर बच्चों का स्वागत करती सेविकाएं। दीवारों पर आकर्षक पेंटिंग के साथ हिंदी और अंग्रेजी का अक्षर ज्ञान। पोषाहार केंद्र के रूप में पहचान बना चुकी आंगनबाड़ी केंद्रों की तस्वीरें अब बदल रही हैं। कोडरमा जिले के 745 आंगनबाड़ी केंद्र अब निजी प्ले स्कूलों को टक्कर देती नजर आ रही है। अब यहां शिक्षण और पोषण का बराबर अनुपात छोटे-छोटे बच्चों को दिया जा रहा है। समग्र विकास के तहत दूसरी गतिविधियों में भी बच्चों को निपुण बनाया जा रहा है।
बच्चों में शिक्षा की बुनियाद तैयार करनेवाली आंगनबाड़ी केंद्रों को पहले पोषाहार केंद्र के रूप में जाना जाता था, जहां आसपास के बच्चे खिचड़ी खाकर वापस घर चले जाते थे। लेकिन, कोडरमा के आंगनबाड़ी केंद्रों में अब व्यापक बदलाव आ गया है।
जिले के उपायुक्त आदित्य रंजन के पहल पर जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों को बेहतर बनाने के लिए ‘प्रोजेक्ट किलकारी’ की शुरुआत की गई है। इसके तहत पिछले दिनों सभी आंगनबाड़ी केंद्र के सेविका और सहायिका को 6 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया और उनके बीच उन्मुखीकरण कार्यशाला भी आयोजित की गई। कार्यशाला में उन्हें बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने के तौर-तरीके बताए गए। साथ ही छोटी-छोटी एक्टिविटी के माध्यम से भी पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया गया।
अब आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति और नामांकन की संख्या भी बढ़ने लगी है। आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों का स्वागत हर दिन अलग-अलग तरीके से किया जाता है। किसी दिन बच्चे एक दूसरे को तिलक लगाकर उनका स्वागत करते हैं तो किसी दिन गले लगा कर और हाथ मिलाकर। बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्रों में पहले वेलकम किया जाता है और इसी वेलकम के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की दिनचर्या भी शुरू हो जाती है। फिर बच्चों को अंग्रेजी की राइम्स और हिंदी में कविता भी सिखाई जाती है। केंद्र की दीवारों में अक्षर ज्ञान और शब्द ज्ञान से जुड़ी तस्वीरें उकेरी गई है, जिसे देख हर दिन बच्चे कुछ न कुछ सीखते हैं।
आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को योग और शारीरिक व्यायाम भी सिखाया जाता है, इसके अलावा बच्चों को अनुशासन की बातें भी सिखाई जाती है। झलपो आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका मीरा देवी और सहायिका रीना देवी ने बताया कि समग्र विकास के तहत यहां आने वाले बच्चों को समावेशी शिक्षा प्रदान की जाती है। क्रिएटिव तरीके से बच्चों को मनोरंजन के साथ शिक्षा की बातें परोसी जाती है, उन्हें ग्रहण करने में भी आसानी होती है।
अभिभावकों से फीडबैक के लिए हर महीने आंगनबाड़ी केंद्र में पेरेंट्स टीचर मीटिंग का आयोजन किया जाता है, जिसमें आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक, आंगनबाड़ी की सेविका और सहायिका के साथ बैठक करते हैं। बैठक में अभिभावकों से आंगनबाड़ी केंद्रों को बेहतर से बेहतर बनाने के लिए सुझाव मांगे जाते है
कोडरमा डीसी आदित्य रंजन का कहना है कि सरकार ने भवन और बिल्डिंग तो बहुत बनाए हैं, लेकिन जरूरत है उन भवनों में तैयार होने वाले बेहतर कल की। हमारा प्रयास है कि जब बच्चे आंगनबाड़ी से निकलकर स्कूल पहुंचे तो उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो। साथ ही जो माहौल निजी प्ले स्कूलों में बच्चों को मिलता है वही माहौल बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र में मिले। नो कास्ट के जरिए छोटी-मोटी असुविधाओं को भी दूर किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्र शिक्षा व्यवस्था की सबसे छोटी और पहली इकाई है, ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्र दुरुस्त होगा तो कल का भविष्य सुनहरा बनेगा।