नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक एक बार फिर से ब्याज दरें बढ़ाने की तैयारी में है. बता दें कि आरबीआई ने महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट में मई से अबतक 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की है. इस दौरान रेपो दर 4% से बढ़कर 5.40% पर पहुंच चुकी है. केंद्रीय बैंक 30 सितंबर को रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला कर सकता है. तो चलिए जानते हैं इस वृद्धि का आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा…
गौरतलब है कि आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग 28 से 30 सितंबर तक चलेगी और बैठक के आखिरी दिन रिजर्व बैंक रेपो रेट की दरों में बदलाव की घोषणा करेगा. रिजर्व बैंक बाजार में मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट का इस्तेमाल करता है. बढ़ी हुई रेपो रेट का मतलब होता है कि जो बैंक आरबीआई से पैसे लेंगे उन्हेंं वह पैसा बढ़ी हुई ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाएगा.
रेपो रेट में बढ़ोतरी का असर ग्राहकों पर सीधे पड़ेगा. रेपो रेट का मतलब होता है कि जो बैंक आरबीआई से पैसे लेंगे उन्हें वह पैसा बढ़ी हुई ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाएगा. केंद्रीय बैंक के इस कदम के बाद बैंक भी लोन पर अपनी ब्याज दरों को बढ़ाएंगे. ऐसे में बैंक महंगे दर पर आरबीआई से लोन लेंगे तो वे महंगे दर पर आम लोगों को भी लोन जारी करेंगे. रेपो रेट बढ़ने से सारे लोन महंगे हो जाएंगे. जिसका सीधा असर आम आदमी द्वारा लिए गए लोन की ईएमआई पर होगा.
फिक्स्ड डिपॉजिट के जरिए बचत करने वालों के लिए अच्छी खबर है. आरबीआई के इस फैसले से ऐसे उपभोक्ताओं को फायदा होगा जिनके पास बचत और FD है. नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी से बैंक एफडी पर ब्याज दरों को घटाने का फैसला नहीं लेंगे.