नई दिल्ली. स्मार्ट फोन और इंटरनेट के दौर में लोग डाक सेवा को लगभग भूल से गए हैं लेकिन आज भी जिन जगहों पर आपका स्मार्ट फोन या इंटरनेट नहीं पहुंच पाता, वहां डाक पहुंच जाती है। डाक के महत्व को एक उदाहरण से समझ सकते हैं। एक भाई जो कि लद्दाख में किसी ऐसी जगह पर कार्यरत था, जहां हर समय नेटवर्क नहीं मिलता और ऑनलाइन डिलीवरी की सुविधा भी नहीं होती। रक्षाबंधन में छुट्टी न मिल पाने के कारण वह घर नहीं लौट पाता। भाई की कलाई सूनी न रहे, इसलिए बहन कई सारे ऑनलाइन माध्यमों, प्राइवेट कोरियर सेवा आदि के माध्यम से भाई को राखी भेजने की कोशिश करती है लेकिन सब कुछ फेल हो जाता है। अंत में वह रक्षाबंधन से कुछ दिन पहले डाक के जरिए राखी भेजती है और बहन की वह राखी सही समय पर भाई तक पहुंच जाती है। डाक की इसी उपयोगिता, महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 9 अक्टूबर को ‘वर्ल्ड पोस्ट डे’ यानी विश्व डाक दिवस मनाया जाता है।

चिट्ठी पत्र का दौर भले ही पहले के मुकाबले कम हो गया हो लेकिन आज भी संचार का यह माध्यम सबसे बेहतरीन माना जाता है। सैकड़ों संस्थाएं, कार्यालय आज भी आधिकारिक कार्य के लिए डाक पर भरोसा करते हैं। आईए जानते हैं विश्व डाक दिवस को मनाने की शुरुआत क्यों और कैसे हुई। साथ ही भारतीय डाक सेवा का इतिहास और विश्व में भारतीय डाक की भूमिका के बारे में भी जानें।

9 अक्टूबर 1874 में स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में एक यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन हुआ, जिसमें दुनिया के 22 देश शामिल थे। यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन डाक विभाग और पोस्टल सर्विसेज के लिए काम करने वाला पहला अंतरराष्ट्रीय संस्थान था। बाद में साल 1969 में जापान की राजधानी टोक्यो में यूपीयू का एक सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में यूपीयू के के गठन दिवस यानी 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया।

विश्व डाक दिवस मनाने के लिए हर साल एक नई थीम होती है। साल विश्व डाक दिवस 2022 की थीम ‘पोस्ट फॉर प्लैनेट’ है। इस थीम का उद्देश्य बढ़ते क्लाइमेट क्राइसिस से बचने के लिए और पृथ्वी की रक्षा के लिए डाक सेवा की भूमिका तय करना है।

दुनिया की लगभग 82 फीसदी आबादी को डाक के जरिए होम डिलीवरी की सुविधा मिलती है। 77 प्रतिशत लोग ऑनलाइन भी डाक सेवा का फायदा उठाते हैं।

भारत में पहला डाकघर 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता में स्थापित किया था। बाद में 1864 में कोलकाता में लैंडमार्क जनरल पोस्ट आफिस बनाया गया। 1880 में भारत में मनी आर्डर सिस्टम शुरू हुआ और 1986 में स्पीड पोस्ट की शुरुआत हुई।

18 फरवरी 1911 को पहला आधिकारिक मेल किया गया था। एक फ्रांसीसी पायलट हेनरी पेक्वेट ने अपने हंबर बाइप्लेन पर एक बोरी भरकर डाक रखे थे। बोरी में लगभग 6 हजार कार्ड और पत्र थे। फ्लाइट की उड़ान भारत से शुरू हुई थी।
आजाद भारत में पहला आधिकारिक डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को जारी किया गया।
ए डाक टिकट में ‘जय हिंद’ लिखा था और साथ ही भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को दर्शाया गया।
जब देश आजाद हुआ, उस समय तक भारत में 23,344 डाकघर थे।
आज भारत विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क है।