नई दिल्ली। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को पोषण से भरपूर हेल्दी डाइट से काफी फायदा पहुंचता है। कई बार ज़रूरी विटामिन्स और खनीज पदार्थों की कमी दिमाग के फंक्शन को कमज़ोर बनाती है, जिससे तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन, बेचैनी जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। आज दुनियाभर में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है। जिसका उद्देश्य लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता पैदा करना है।

इस मौके पर आइए जानें ऐसे पोषक तत्वों के बारे में जिनकी कमी का असर सीधे हमारे दिमाग के काम पर पड़ता है और मानसिक तौर पर कमज़ोर होते चले जाते हैं।

विटामिन-डी, एड्रेनालाईन, नॉरएड्रेनालाईन और डोपामाइन के उत्पादन को नियंत्रित करता है, और मस्तिष्क के काम के लिए एक महत्वपूर्ण हार्मोन के रूप में अहम भूमिका निभाता है।

विटामिन-डी की कमी थकान, मांसपेशियों में कमज़ोरी, बालों का झड़ना, पीठ दर्द, त्वचा की खराब स्थिति, हड्डियों में दर्द और मूड में बदलाव सहित कई तरह से लक्षण प्रकट होते हैं।

विटामिन-डी किन फूड्स में होता है: विटामिन-डी से भरपूर डाइट में अंडे, फैटी फिश, मशरूम, ब्राउन चावल, बकरी के दूध से बना चीज़ और ग्लूटन-फ्री ओट्स शामिल होने चाहिए।

विटामिन-बी (B1, B6, B7, B12, B complex) की कमी की वजह से अवसाद, बेचैनी और मूड का तेज़ी से बदलना हो सकता है। यह तंत्रिका तंत्र के साथ-साथ संचार प्रणाली में व्यवधान के साथ जुड़ा हुआ है। बी12/बी9 या फोलेट बदलते मूड से जुड़ा होता है। जो लोग अवसाद से लड़ रहे होते हैं, उनके रक्त में फोलेट की कमी होती है।

विटामिन-बी किन फूड्स में होता है: फोलेट हरी पत्तेदार सब्ज़ियों, बीन्स, मटर, सिटरस फलों और दालों में होता है।

मैग्नीशियम की कमी मानसिक विकारों से संबंधित कई लक्षणों को बढ़ाने के लिए जानी जाती है, जैसे कि बेचैनी, चिंता, चिड़चिड़ापन, भ्रम, अनिद्रा, सिरदर्द, मतिभ्रम और अवसाद।

मैग्नीशियम किन फूड्स में होता है: कुछ तनाव को कम करने में मदद करने के लिए दिन में कम से कम तीन बार मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे कद्दू के बीज, डार्क ऑर्गेनिक चॉकलेट (प्लस 72%), और बादाम शामिल करना चाहिए।

हमारे दिमाग की सेहत और काम को बढ़ावा देने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड्स काफी ज़रूरी होते हैं, जो दिमाग़ को तेज़ और मूड को सकारात्मक बनाते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी के लक्षणों में कमज़ोरी, खराब याददाश्त, रूखी त्वचा, दिल से जुड़ी दिक्कतें, मूड का बदलते रहना, तनाव शामिल है।

ओमेगा-3 किन फूड्स में होता है: तेलीय फिश, जैसे सालमन या कोड, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का बेहतरीन स्त्रोत होती हैं। यह हेल्दी फैट्स फ्लेक्स सीड्स और अखरोट में भी पाए जाते हैं।

शरीर में प्रोबायोटिक की कमी को दुनियाभर में सबसे ज़्यादा इग्नोर किया जाता है, जो लाखों लोगों में दिक्कत से भरे लक्षणों का कारण बनता है। प्रोबायोटिक ज़िंदा बैक्टीरिया और यीस्ट के मिश्रण को कहा जाता है, जो मनुष्यों के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में प्राकृतिक तौर पर रहते हैं और तनाव को दूर करते हैं, हेल्दी पाचन, सकारात्मक मूड और भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देते हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें, जो अस्वस्थ गट से संबंधित होती हैं, उनमें ADD/ADHD, बेचैनी, तनाव, शिज़ोफ्रेनिया और अल्ज़ाइमर बीमारी शामिल है। शारीरिक समस्याओं में ऑटोइम्यून से जुड़ी दिक्कतें (जैसे थायरॉइड और आर्थराइटिस), पाचन से जुड़ी परेशानियां (जैसे- आईबीएस, कब्ज़, दस्त, सीने में जलन या पेट का फूलना), नींद से जुड़ी समस्याएं, त्वचा पर रैशेज़, मीठा खाने की चाह।

प्रोबायोटिक किन फूड्स में होता है: प्रोबायोटिक गट और दिमाग़ के बीच के संबंध को सपोर्ट करता है। प्रोबायोटिक खानों में, ऑर्गैनिक योगर्ट, केफिर, खट्टी पत्ता गोभी, किमची, कम्बूचा और अचार शामिल हैं।