नई दिल्ली. दिग्गज टेक कंपनी ऐपल को एक भारतीय मूल के कर्मचारी ने तगड़ा चूना लगा दिया. धीरेंद्र प्रसाद नामक इस कर्मचारी ने दस साल तक ऐपल में काम किया था. फिलहाल यह कंपनी छोड़ चुका है. इस साल मार्च, 2022 में धीरेंद्र के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दायर किया गया था. अब कोर्ट के सामने उसने अपना अपराध कबूल कर लिया है.
धीरेंद्र ने स्वीकारा है कि वह साल 2011 से ही कंपनी के साथ धोखाधड़ी कर रहा था. उसने ऐपल को 140 करोड़ रुपये का नुकसान किया है. इस अपराध में उसके साथ दो और व्यक्ति भी शामिल थे. धीरेंद्र को इस अपराध के लिए 20 साल की सजा हो सकती है.
प्रसाद ने 2008 में ऐपल ज्वाइन की थी और वे कंपनी में 2018 तक रहे. ऐपल ने उन्हें कंपनी में ग्लोबल सर्विस सप्लाई चेन में खरीदार के रूप में नियुक्त किया है. धीरेंद्र प्रसाद का काम वेंडर से ऐपल के लिए पुर्जे और सर्विसेज खरीदना था. अब धीरेंद्र ने स्वीकार किया है कि उसने ऐपल को अलग-अलग हथकंडे अपनाकर भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया.
ऐपल के साथ धोखाधड़ी करने के लिए धीरेंद्र ने तमाम हथकंडे अपनाए. उसने वेंडर से ऐपल के लिए खरीदारी करने को रिश्वत ली. इनवॉयस के साथ छेड़छाड़ की और कंपनी का सामान चुराकर वापस कंपनी को बेच दिया. इसके अलावा उसने उन चीजों का भुगतान भी ऐपल से करवा दिया, जो चीजें खरीदी ही नहीं गई थी.
ऐपल को धोखा देने वालों में प्रसाद अकेले नहीं थे. प्रसाद के साथ दो लोग और भी थे, जो एप्पल से पैसे निकालने में हाथ बंटा रहे थे. रॉबर्ट गैरी हैनसेन और डॉन एम बेकर के साथ मिलकर प्रसाद वर्षों तक ऐपल को ठगते रहे. प्रसाद ऐपल की इन्वेंट्री से निकालकर कई मदरबोर्ड डॉन एम बेकर की कंपनी सीट्रेंड्स को भेज देते थे. वो अन्य पुर्जे भी ऐपल पैकेजिंग से निकालकर बेकर को दे देते और खाली डिब्बे ऐपल गोदाम में रख देते. चोरी से निकाले गए पुर्जों को ही ऐपल के लिए धीरेंद्र वापस खरीद लेता.
अमेरिकी सरकार ने प्रसाद की 5 मिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति जब्त की है. उनकी सजा की सुनवाई 14 मार्च को तय की गई है. अगर प्रसाद दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें 20 साल से ज्यादा की जेल हो सकती है. अगर धीरेंद्र ने अपना दोष कबूल नहीं किया होता, तो उन्हें संघीय जेल में 70 साल बिताने पड़ते.