नई दिल्ली। भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल को लोग अपनाने लगे हैं। हालांकि, ईवी की कीमतें इस समय पेट्रोल-डीजल की तुलना में काफी अधिक है। जिसकी वजह से लोग अभी इसको खरीदने से कतरा रहे हैं। अब सवाल ये उठता है कि क्या अगर ईवी की कीमतें कम होती हैं तो इसको खरीदने वाली लोगों की संख्या बढ़ेगी या फिर लोगों का झुकाव उस समय भी आईसीई इंजन पर होगा। आइये जानते हैं इसको लेकर एक्सपर्ट्स की क्या है राय।
न्यूरॉन एनर्जी को-फाउंडर प्रतीक कामदार का इस पर कहना है कि पिछले कुछ सालों से देश में इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स के इस्तेमाल का चलन तेजी से बढ़ा है। इस साल अक्टूबर महीने में ही इनकी बिक्री में 44 फीसदी का इजाफा देखा गया है, जो इस बात का परिचायक है कि अब ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ता पर्यावरण के संरक्षण के प्रति सचेत हो रहे हैं और वे प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझने लगे हैं। पर्यावरण के प्रति लोगों में बढ़ती जागरुकता के अलावा ईंधन के बढ़ते दाम और जलवायु परिवर्तन भी लोगों के लिए चिंता का बड़ा विषय है, जिसके चलते इलेक्ट्रिकल व्हीकल की लोकप्रियता में दिनों-दिन बढ़ोतरी देखी जा रही है।
भारत में इलेक्ट्रिकल व्हीकल के सेगमेंट की बढ़ती लोकप्रियता में टू व्हीलर सेगमेंट का बहुत बढ़ा हाथ है। मौजूदा समय में सामान्य वाहनों के मुकाबले इलेक्ट्रिकल व्हीकल के दाम 20 फीसद से 30 फीसद अधिक हैं। इसकी मुख्य वजह है इसमें इस्तेमाल किये जानेवाले लीथियम आयन बैटरी सेल के ऊंचे दाम हैं। मगर अब ऐसा माना जाना रहा है कि आगे चलकर इलेक्ट्रिकल व्हीकल के दाम भी सामान्य वाहनों के बराबर हो जाएंगे। ऐसे में इलेक्ट्रिकल व्हीकल की लोकप्रियता पहले से और भी अधिक बढ़ने की संभावना है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भविष्य में आम लोग भी बड़ी तादाद में इलेक्ट्रिकल व्हीकल खरीद पाएंगे। इतना ही नहीं, भविष्य में इलेक्ट्रिकल व्हीकल की मांग में बढ़ोत्तरी होने और लीथियम ऑयन सेल की कीमतों में कमी आने का दूरगामी असर पूरी तरह से तैयार उत्पाद पर भी देखने को मिलेगा।