नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर जीत और मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है. अखिलेश यादव ने उपचुनाव में मैनपुरी सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को उतारा है और इसके साथ ही चाचा शिवपाल यादव से भी गिले शिकवे भुलाकर एकता का नारा बुलंद कर रहे हैं. लेकिन, इसके बावजूद समाजवादी पार्टी का उपचुनाव का रिकॉर्ड उनके लिए चिंता का विषय है.
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए पूरा यादव परिवार साथ आ गया है, लेकिन इसके बावजूद उपचुनावों सपा की हार का रिकॉर्ड चिंता का सबब है. इससे पहले समाजवादी पार्टी को कुछ महीने पहले हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में यादव परिवार को बड़ा झटका लगा था और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव चुनाव हार गए थे. इस सीट से बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत हासिल की थी. बता दें कि आजमगढ़ सीट को अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव में जीत के बाद खाली किया था, लेकिन उपचुनाव में सपा को झटका लगा और अपने गढ़ में हार का सामना करना पड़ा.
समाजवादी पार्टी को कुछ महीने पहले रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा था और तब सपा के आसिम रजा को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के घनश्याम लोधी ने हराया था.
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार डिंपल यादव का रिकॉर्ड भी लोकसभा उपचुनाव में ठीक नहीं रहा है और वह भी एक बार हार चुकी हैं. डिंपल को साल 2009 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में डिंपल यादव के सामने मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत बचाने की बड़ी चुनौती है.
डिंपल यादव इससे पहले कन्नौज लोकसभा सीट से 2 बार सांसद रह चुकी हैं. साल 2009 में फिरोजाबाद से हार के बाद डिंपल को साल 2012 में हुए उपचुनाव में पहली बार कन्नौज सीट से जीत मिली थी. इसके बाद 2014 के आम चुनावों में भी वह दोबारा इस सीट से सांसद चुनी गई थीं, लेकिन 2019 के चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा. डिंपल यादव ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से साल 1998 में ग्रेजुएशन किया था और बी. कॉम की डिग्री हासिल की थी. डिंपल यादव और अखिलेश यादव की शादी साल 1999 में हुई थी और उनकी 2 बेटियां हैं.