मज़ेदार, कुरकुरा और स्वादिष्ट समोसा शायद ही किसी को पसंद न आता हो। भारत में इसे गरमा गरम चाय के साथ हर इलाके में खाया जाता है। सदियों से समोसा हमारे खाने का हिस्सा रहा है। किसी भी तरह का जश्न, खास मौका इसके बिना अधूरा है। इसे आमतौर पर आलू में कुछ मसाले डालकर भरा जाता है और फिर डीप फ्राई किया जाता है। बारिश या सर्दी के मौसम में गरमा गरम समोसे खाकर सभी का दिल खुश हो जाता है। अगर आप भी समोसे के फैन हैं, तो आइए जानें इसके बारे में कुछ ऐसी बातें जो आपको हैरान कर देंगी!

जी हां, आपने सही पढ़ा, समोसा असल में भारत की देन नहीं है। यह पढ़कर आप निराश ज़रूर हुए होंगे लेकिन आपको बता दें कि आपके पसंदीदा समोसे की जड़ें 10वीं शताब्दी से आती हैं, जहां इसे ‘समसा’ के नाम से जाना जाता था, जो ईरान, मध्य पूर्व क्षेत्र में काफी पॉपुलर था। उस समय इसे मीट स्टफ करके बनाया जाता है। इसकी रेसीपी मिस्र, लिब्या, एशिया तक पहुंच गई, जहां इसका नाम सानबुसक, सानबुसाक और सानबुसाज कर दिया गया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि समोसे की रेसीपी मुग़लों के साथ दिल्ली पहुंची और धीरे-धीरे इसमें बदलाव भी किए गए।

प्राचीन कहानियों के अनुसार, 13वीं शताब्दी के दौरान समोसा सिर्फ अरब और मध्य पूर्वी देशों के शाही परिवारों और उच्च वर्ग के लिए ही था। इस डिश को खास मौकों पर तैयार किया जाता था और इसे शाही खानदानों की विरासत माना जाता था।

हमारे बचपन से हमने समोसे में आलू, मटर, पनीर के टुकड़े स्टफ्ड देखे हैं, लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि समोसा असल में मीट, नट्स, पिस्ता, मसाले और औषधियों को भरकर बनाया जाता था। जिसे फिर डीप फ्राई कर चटनी के साथ खाया जाता था।

क्या आपने कभी सोचा है कि इसका आकार ऐसा क्यों होता है? ऐसा माना जाता है कि इस पॉपुलर स्नैक की शेप पिरामिड्स से मिलती है। यही वजह है कि इसका नाम समसा रखा गया, जिसका सीधा संबंध मिस्र के पिरामिड्स से ही है।

अगर आपको लगता है कि आप समोसे के इकलौते फैन हैं, तो आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में इतना पॉपुलर है कि इसके लिए खास दिन समर्पित है। हर साल 5 सितंबर को विश्व समोसा दिवस मनाया जाता है ताकि सभी लोग इस कमाल के स्नैक के बारे में जानें और इसका मज़ा उठा सकें।