लंदन. क्या आपको पता है कि दवाओं का असर भी आपके जेंडर पर निर्भर करता है? एक नई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया है कि महिलाओं और पुरुषों पर दवाओं का प्रभाव काफी हद तक अलग हो सकता है. उम्र को लेकर सजग दिख रही युवा पीढ़ी बड़ी मात्रा में एंटी-एजिंग ड्रग ले रही है. हालांकि इसका असर कितना होगा यह भी आपके जेंडर पर निर्भर करता है. कोलोन और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में मौजूद मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजी ऑफ एजिंग के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा ही परीक्षण कर सबको चौंका दिया है. इस रिपोर्ट में पुरुषों को लेकर काफी निराशाजनक निष्कर्ष देखने को मिले हैं.

शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पुरुष के मुकाबले महिलाओं पर एंटी-एजिंग ड्रग बेहतर असर करती है. इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने नर और मादा मक्खियों का इस्तेमाल किया था जिन पर अनुकूल माहौल में एंटी-एजिंग ड्रग का परीक्षण किया गया. शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट ‘नेचर एजिंग’ में कहा कि दवा केवल मादा मक्खियों के जीवनकाल को बढ़ाती है, नरों की नहीं. इसके अलावा, सबसे बेहतरीन एंटी एजिंग ड्रग रैपामाइसिन ने केवल मादा मक्खियों के पेट में उम्र से संबंधित रोग परिवर्तनों के विकास को धीमा किया था. गौरतलब है कि पुरुषों में ऐसा कोई बदलाव देखने को नहीं मिला.

तमाम आंकड़ों को जुटाने के बाद शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि एंटी-एजिंग दवाओं की प्रभावशीलता में जैविक सेक्स एक महत्वपूर्ण कारक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं की लाइफ एक्सपेक्टेंसी पुरुषों की तुलना में काफी अधिक होती है. हालांकि, महिलाएं अक्सर उम्र से संबंधित बीमारियों और प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं से भी पीड़ित होती हैं. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक यू-ज़ुआन लू बताते हैं कि उनका दीर्घकालिक लक्ष्य है कि पुरुषों को महिलाओं की तरह लंबे समय तक जीवित रहना चाहिए और साथ ही महिलाओं को बाद के जीवन में पुरुषों के समान स्वस्थ बनाना है. लेकिन इसके लिए, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि ये अंतर कहां से आते हैं.

शोधकर्ताओं ने अलग-अलग जेंडर (लिंगों) पर प्रभाव का अध्ययन करने के लिए नर और मादा मक्खियों को एंटी-एजिंग ड्रग रैपामाइसिन (rapamycin) दिया. रैपामाइसिन एक कोशिका वृद्धि अवरोधक और प्रतिरक्षा नियामक है जो आमतौर पर कैंसर चिकित्सा में और अंग प्रत्यारोपण के बाद उपयोग किया जाता है. उन्होंने पाया कि रैपामाइसिन ने जीवनकाल बढ़ाया और मादा मक्खियों में उम्र से संबंधित आंतों के विकृतियों को धीमा कर दिया लेकिन पुरुषों में परिणाम निराशाजनक रहा.

शोधकर्ताओं ने देखा कि महिला आंतों की कोशिकाओं में रैपामाइसिन ने ऑटोफैगी (इंटेस्टाइन के सेल वेस्ट के डिस्पोजल) को बढ़ा दिया. हालांकि, पुरुष आंतों की कोशिकाओं में पहले से ही एक उच्च बेसल ऑटोफैगी गतिविधि होती है, जिसे रैपामाइसिन द्वारा और नहीं बढ़ाया जा सकता है. वैज्ञानिक चूहों में रैपामाइसिन के इस प्रभाव को भी देख सकते हैं. मादा चूहों ने रैपामाइसिन के साथ उपचार के बाद बढ़ी हुई ऑटोफैगी गतिविधि दिखाई. सीधे तौर पर बात करें तो शोध कहता है कि महिलाओं में उनकी बढ़ती उम्र को धीमा किया जा सकता है जबकि ऑटोफैगी के कारण पुरुषों में ऐसा संभव नहीं है.