नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश के कई प्रमुख विपक्षी नेताओं के साथ डिजिटल बैठक में शुक्रवार को यह विश्वास जताया कि संसद के आने वाले सत्रों के दौरान भी विपक्ष की एकता कायम रहेगी. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए कि बड़ी राजनीतिक लड़ाई संसद के बाहर लड़ी जानी है. उनके कहने का मतलब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से था।

उन्होंने कहा, ‘अंतिम लक्ष्य 2024 लोकसभा चुनाव है जिसके लिए व्यवस्थित तरीके से योजना बनानी होगी. ये एक चुनौती है, लेकिन हम मिल कर यह कर सकते हैं क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है. सबकी अपनी मजबूरियां भी हैं, लेकिन राष्ट्र हित की मांग है कि हम सब अपने मजबूरियों से ऊपर उठें।’

इस बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तथा राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी समेत 15 से अधिक पार्टियों के नेता शामिल थे. हैरान करने वाली बात यह रही कि इस बैठक में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से कोई भी शामिल नहीं हुआ.

सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी देश के प्रमुख मुद्दों पर विपक्षी दलों को साथ लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में हैं और इसी प्रयास के तहत यह बैठक बुलाई गई थी. विपक्षी दल राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के वास्ते एकजुट होने के लिए प्रयासरत हैं ताकि अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष की ओर से कड़ी चुनौती पेश की जा सके.

हाल ही में संपन्न हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान पेगासस जासूसी विवाद, किसान आंदोलन और महंगाई के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विपक्षी एकजुटता देखने को मिली. इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी एकजुटता की पूरी कवायद के केंद्रबिंदु नजर आए. सोनिया गांधी ने यह बैठक पेगासस जासूसी विवाद और इसे लेकर संसद के हाल में संपन्न मानसून सत्र में हुए हंगामे को लेकर जारी आरोप-प्रत्यारोप के बीच बुलाई.