लखनऊ। एसटीएफ ने खुद को महाराष्ट्र कैडर का आईपीएस अधिकारी बताकर महानगर स्थित मोहनश्याम कल्याणदास ज्वैलर्स के मालिक से करीब तीन करोड़ रुपये के जेवर हड़पने वाले जालसाज को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी राजीव सिंह के सराफ से 15 साल से जान पहचान थी। इसका फायदा उठाकर ही उसने उन्हें विश्वास में लिया और यह चपत लगा दी थी। पीड़ित सराफ नितेश रस्तोगी ने महानगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा दी थी। एसटीएफ ने आरोपी के पास से हड़पे करीब तीन करोड के जेवर भी बरामद कर लिये हैं।
मामले की जानकारी देते हुए एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि सराफ नितेश रस्तोगी के विश्वास को ठेस पहुंचाकर ठगी करने वाला यह आरोपी सेक्टर पी अलीगंज निवासी राजीव सिंह है। राजीव के पिता वितेन्द्र पाल सिंह सीतापुर से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हुए हैं। राजीव के पास डीसीपी क्राइम मुम्बई का फर्जी परिचय पत्र भी मिला है। वह मुम्बई भागने की फिराक में था पर उससे पहले ही पकड़ लिया गया। नितेश ने बताया कि वर्ष 2003 में राजीव की मां उनकी अमीनाबाद स्थित दुकान पर जेवर खरीदने आती रहती थीं। तभी उनके परिवार से घनिष्ठता बढ़ती चली गई थी। वर्ष 2005 से राजीव भी उनकी दुकान पर आने-जाने लगा।
इस बीच ही आरोपी के पिता बृजेन्द्र सिंह ने बताया कि बेटा राजीव आईपीएस बन गया है और उसकी तैनाती महाराष्ट्र कैडर में हुई है। यह परिवार बीच-बीच में चार-पांच लाख रुपये के जेवर उधार लेता था, फिर चेक के माध्यम से भुगतान कर देता था। इससे कभी उसके धोखाधड़ी करने का शक ही नहीं हुआ। इसका फायदा उठाते हुए राजीव ने पिछले साल जुलाई में 67 लाख व दिसम्बर में एक करोड़ 95 लाख रुपये के जेवर खरीदे। भुगतान के लिये उसने उनकी फर्म के नाम सेन्ट्रल बैंक के सात चेक अलग-अलग धनराशि के दिये। इनके जरिये तीन करोड़ 17 लाख रुपये का भुगतान होना था।
एएसपी विशाल विक्रम ने बताया कि नितेश को राजीव चेक लगाने के लिये लगातार मना करता रहा। जब काफी समय हो गया तो नितेश ने उसे फोन करना शुरू किया लेकिन वह बहाने बताता रहा। इसके बाद आईपीएस अधिकारी होने का रौब भी दिखाया। उसने कहा कि न रुपये देगा और न ही जेवर लौटायेगा। पिता ने कहा-अब आईएएस हो गया। सराफ नितेश रस्तोगी ने बताया कि उसके पिता ने कुछ समय बेटे राजीव के आईएएस हो जाने की बात कही। पर, बाद में सब फर्जी निकला। नितेश का कहना है कि राजीव ने उनके साथ ऐसा करके उनके विश्वास को ठेस पहुंचायी है। वह उसके और परिवार के फर्जीवाड़े को समझ नहीं सके।