मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में संयुक्त किसान मोर्चा ने मिशन यूपी की पहली महापंचायत से भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी दल भले ही मैदान के बाहर किसानों की सेवा में सक्रिय रहे हों, लेकिन उन्हें मंच से कोई तवज्जो नहीं मिली। विधानसभा चुनाव से पहले किसान मोर्चा पहले प्रदेश और फिर गांव-गांव में अपना संगठन खड़ा करेगा, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। किसान मोर्चा के नेता गुरनाम चढूनी ने किसानों को यूपी में पंचायती उम्मीदवार उतारने का सुझाव मंच से दिया। हालांकि मोर्चा ने उनके बयान पर अपनी मुहर नहीं लगाई।
दिल्ली और लखनऊ तक की टिकी रही नजर
मुजफ्फरनगर महापंचायत पर दिल्ली और लखनऊ तक की नजर टिकी रही। मंच से भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ निशाने पर रहे। यह साफ हो गया कि कृषि कानून वापस लेने की मांग पूरी नहीं हुई, तो भाजपा को हराने के लिए मोर्चा पूरा जोर लगाएगा।
राजनैतिक दलों को नहीं मिला मंच
विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाली सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद की नजर भी महापंचायत पर थी। किसान मोर्चा की नीतियों के तहत किसी को मंच पर नहीं बुलाया गया। लेकिन ऐसा कोई इशारा भी नहीं हुआ, जिससे कोई विपक्ष दल राहत महसूस कर सकें। विपक्षी दल अपने-अपने हिसाब से गणित लगाने में जुटे हुए हैं।
गांव-गांव में संगठन खड़ा करने का एलान
संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले प्रदेश स्तर और फिर गांव-गांव में संगठन खड़ा करने का एलान किया है। 27 सितंबर को होने वाले भारत बंद से पहले ही संगठन को मजबूत किए जाने की तैयारी है।
महापंचायत में सीधे तौर पर भले ही संयुक्त किसान मोर्चा ने कोई एलान नहीं किया हो, लेकिन गुरनाम चढूनी ने सिर्फ भाजपा पर नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं पर निशाना साधा। जबकि अन्य वक्ताओं के निशाने पर मुख्य रूप से भाजपा ही रही।
पहली बार निशाने पर आए सीएम योगी
किसान आंदोलन में पहली बार ऐसा हुआ, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सीधे मंच से सियासी हमला हुआ हो। संयुक्त किसान मोर्चा अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार को ही निशाने पर रखता था। लेकिन मिशन यूपी की शुरुआत के साथ ही यह भी साफ हो गया कि सूबे में मोर्चा अब सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ और अधिक तीखे तेवर दिखाएगा।