लखीमपुर खीरी। दुधवा टाइगर रिजर्व के कर्तनिया घाट वन्यजीव विहार में एक ऐसा दुर्लभ पेड़ है जो इंसानों जैसी हरकत करता है। जैसे इंसान को गुदगुदी होती है ठीक वैसे ही पेड़ का तना सहलाने पर उसे भी गुदगुदी होने लगती है और वह मचलने सा लगता है।

दुधवा टाइगर रिजर्व का वातावरण रहस्य और रोमांच से भरा हुआ है। यहां 75 प्रजातियों के वृक्ष, 21 प्रकार की झाड़ियां, 77 प्रजातियों की घासों के अलावा 179 प्रजातियों के जलीय पौधे हैं। इन्हीं में से लॉफिंग ट्री के नाम से प्रसिद्घ पेड़ दुधवा टाइगर रिजर्व के कर्तनिया घाट वन्यजीव विहार में उपलब्ध है। यह अद्भुत पेड़ कर्तनियाघाट रेंज परिसर के मार्ग के दाईं ओर लगा हुआ है। इस पेड़ की खासियत यह है कि इसका तना सहलाने पर इसकी टहनियां और पत्ते हिलने लगते हैं और खिलखिलाने जैसी आवाज आती है। इसलिए इसे लॉफिंग ट्री या गुदगुदी वाला पेड़ कहा जाता है। वैसे इसका वानस्पतिक नाम रंडियां डुमेटोरम है।

यह अजीबोगरीब पेड़ उत्तराखंड के कालाढूंगी जंगल में भी पाया गया है, जो बिल्कुल इंसानों जैसी हरकत करता है। दुधवा टाइगर रिजर्व में अभी यह दुर्लभ पेड़ सिर्फ कर्तनियाघाट में ही मिला है। इस पेड़ के गुण धर्म और औषधीय उपयोगिता को लेकर कई लोग अध्ययन कर रहे हैं। इसे हैरिटेज ट्री का दर्जा दिया गया है।  

दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक बताते हैं कि दुधवा आने वाले सैलानी इस अद्भुत पेड़ को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व में जिस तरह यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और दुर्लभ जीव सैलानियों को आकर्षित करते हैं, उसी तरह यह लॉफिंग ट्री या गुदगुदी वाला पेड़ भी आकर्षण का केंद्र है।

युवराजदत्त महाविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. डीके सिंह का कहना है कि प्राणियों की तरह पेड़-पौधों में भी जीवन होता है। कुछ पेड़ों में जीवों की तरह सेंस्टीविटी (संवेदनशीलता) भी होती है, जिसके कारण छूने पर उसमें प्रतिक्रिया होती है जैसे छुई मुई का पौधा। इसे छूने पर कुछ देर के लिए पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। ऐसा लगता है जैसे छू लेने से पौधा शरमा गया हो। यही संवेदनशीलता लाफिंग ट्री में भी है। जिसके कारण छूने पर इसे गुदगुदी का एहसास होता है।