वाराणसी. कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश में खूब कोहराम मचाया था. देश में मची इस तबाही की असली वजह अब बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी समेत सात रिचर्स सेंटर की स्टडी में सामने आयी है. वैज्ञानिकों की स्टडी के अनुसार, कोरोना के दूसरी लहर किसान आंदोलन के कारण आई थी. ये आंदोलनकारी ही उस समय सुपर स्प्रेडर बने थे. इतना ही नहीं, पंजाब के रास्ते ही कोरोना पूरे उत्तर भारत में फैला था और फिर उसके भयानक नतीजे हर किसी ने झेले थे. बीएचयू के वैज्ञानिकों की ये रिसर्च अंतर्राष्ट्रीय जर्नल एमडीपीआई कोविड में प्रकाशित भी हुई है.
बीएचयू के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर उसके वैरियंट अल्फा B.1.1.7 के कारण आई थी. उन्होंने बताया कि उस वक्त पंजाब में आई कोरोना की लहर अचानक नहीं थी बल्कि बड़ी सभा, आंदोलन और इंडोर मीटिंग के कारण ही ऐसी स्थिति पैदा हुई थी. इसके आधार पर ये कहा जा सकता है कि किसान आंदोलन के कारण ही उस वक्त कोरोना फैला था.
इस रिसर्च में 15 वैज्ञानिकों की टीम ने देश में 3085 अल्फा वैरियंट के जीनोम सीक्वेंस के सैम्पल पर एनालिसिस कर इस रिपोर्ट को तैयार किया है. इसमें करीब 1 साल का वक्त लगा है. इस रिसर्च में शामिल जाह्नवी पारासर ने बताया कि दिल्ली,पंजाब और चंडीगढ़ में अल्फा वैरियंट की 44 जेनेटिक शाखाएं मौजूद थीं. यही वजह थी कि पूरे भारत के बजाय सिर्फ उत्तर भारत में ये वैरियंट तेजी से फैला था.
इस चौंकाने वाली रिसर्च में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के अलावा बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान लखनऊ,आनुवंशिक विभाग उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद, जैव प्रौद्योगिकी विभाग स्वास्थ्य सम्बद्ध विज्ञान संस्थान गाजियाबाद, क्षेत्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला भोपाल और अमृता स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी कोलकाता के वैज्ञानिक और रिसर्चर शामिल थे.