खरखौदा। बेमौसम हुई बरसात के कारण खराब हुई गेहूं की फसल को कम दामों में खरीदने की केंद्र से क्रय केंद्रों को अनुमति मिली है। उधर किसानों का कहना है कि किस मानक के आधार पर गेहूं का मूल्य तय होगा।
बाजार मूल्य सरकार के समर्थन मूल्य से अधिक होने के कारण दो वर्ष से किसान राजकीय गेहूं केंद्रों पर नहीं पहुंच रहा है। पहले ही कई पाबंदियों के चलते किसान का मोह गेहूं क्रय केंद्र से हटता जा रहा था। अब केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को खराब गेहूं को कम दामों पर खरीदने की अनुमति दे दी है। जहां सरकार इसको किसान के लिए फायदे का सौदा बता रही है, तो वहीं किसानों का कहना है कि कौन सा ऐसा आधार है जिस पर गेहूं की गुणवत्ता तय की जाएगी। पूरे प्रदेश में खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की खरीद एक ही मूल्य पर होगी।
खरखौदा क्षेत्र में बरसात से गेहूं अधिक खराब नहीं हुआ लेकिन पूरे प्रदेश में एक ही आधार पर तय मूल्य पर सरकार गेहूं खरीद करेगी जिससे कोई किसान संतुष्ट नहीं होगा।
जहां सरकार पारदर्शिता के चलते केवल पंजीकृत किसानों का ही गेहूं खरीद कर रही है तथा उसका भुगतान भी उसके खाते से ही हो रहा है। लेकिन किसान ऑनलाइन पंजीकरण करा कर टॉकन लेकर लंबी लाइन में क्यों लगे। सरकार द्वारा तय किया गया मूल्य बाजार मूल्य से कम है।
क्षेत्र का किसान गेहूं से अधिक गन्ने की खेती कर रहा है। महंगी लेबर व अन्य महंगे संसाधनों के चलते अधिकतर किसान अपने लिए ही गेहूं की फसल तैयार कर रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी यदि कुछ किसान अपना अनाज बेचना चाहे तो वह बाजार पर अधिक विश्वास करेगा।
सरकार से मूल्य कटौती के साथ खराब गुणवत्ता का गेहूं खरीदने के आदेश आए हैं। हालांकि अभी तक खराब गुणवत्ता वाले गेहूं का मानक तय नहीं किया गया है। उच्चाधिकारियों से बैठक कर मानक तय किए जाएंगे। इसके बाद खरीदारी की जाएगी।