गदा के हाथरस से गांव में पहुंचने पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई. इस दौरान काटकूट गांव जय श्रीराम, जय हनुमान के जयघोष से गूंज उठा. गदा की इस शोभायात्रा में गांव सहित आसपास के इलाकों के हजारों श्रदालु शामिल हुए. भक्तों ने धूम-धाम से गदा को खेड़ापति हनुमान मंदिर परिसर में पहुंचा दिया. अब 3 मई को विधी-विधान से पूजा अर्चना, हवन के साथ गदा की स्थापना, प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.
शोभायात्रा के दौरान लोगों में काफी उत्साह देखा गया. इस दौरान श्रदालु डीजे पर भजनों पर जमकर थिरके. विशाल गदा गांव के ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रहलाद चोटिया ने भेंट की है. हाथरस में निर्माण के बाद विशाल गदा को जेसीबी के माध्यम से ट्रैक्टर ट्रॉली में रखा गया था. अब तक की सबसे बड़ी 751 किलो वजनी अष्टधातु की 22 फीट लंबी और 7 फीट चौड़ी गदा को देखने हर शख्स पहुंच रहा है.
गौरतलब है कि शोभायात्रा को काटकुट गांव के प्रमुख मार्गों निकाला गया. सब जगह से होते हुए यह मंदिर परिसर तक पहुंची. बता दें, प्रहलात चोटिया ने ग्रामीणों के सहयोग से गदा स्थापना का पांच दिवसीय धार्मिक आयोजन रखा है. हनुमान भक्त प्रहलाद चोटिया जाट काटकुट के निवासी हैं और वर्तमान में बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.
प्रहलाद चोटिया ने बताया कि इस अष्ट धातु हनुमान गदा का निर्माण यूपी के हाथरस में करीब तीन माह की कड़ी मेहनत के बाद हुआ है. एक बड़े वाहन के माध्यम से इसे यहां लाया गया है. प्रहलाद का कहना है कि मैं आज जो कुछ भी हूं, खेड़ापति हनुमान जी की कृपा से ही हूं.
चोटिया ने कहा कि गदा का मूल्य अमूल्य है. हनुमानजी के आशीर्वाद से ही गदा की स्थापना हो रही है. उन्होंने बताया कि धार्मिक कार्यक्रम के आखिरी दिन 3 मई को यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी और हनुमान जी की महाआरती के बाद विशाल भंडारा प्रसादी का आयोजन होगा.