लखनऊ: उत्तर प्रदेश शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में, भारतीय जनता पार्टी ने 391 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो अब तक का सबसे अधिक है. इनमें से अधिकांश ने उन सीटों से नामांकन दाखिल किया है जिनमें समुदाय की अच्छी खासी उपस्थिति है. इसके साथ, सत्ताधारी दल ने- 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले समुदाय के बीच अपने समर्थन आधार का परीक्षण करने की कोशिश की है. उत्तर प्रदेश में 760 नगरीय निकायों में 14,864 पदों के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए 4 और 11 मई को 2 चरणों में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव होंगे.

नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों के अध्यक्षों और सदस्यों और नगर निगमों में नगरसेवकों के पदों के लिए भाजपा ने 391 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है. इस चुनाव के जरिए यूपी के 17 नगर निगमों के मेयर, नगर पालिका परिषदों के 199 अध्यक्ष और 544 नगर पंचायतों के 1420 नगरसेवकों के साथ-साथ नगर पंचायतों के 5,327 सदस्य और नगर पालिका परिषदों के 7,177 सदस्य चुने जाएंगे. भाजपा के कुल 391 मुस्लिम उम्मीदवारों में से 351 नगरपालिका वार्डों से पार्षदों और सदस्यों के पदों के लिए, 35 नगर पंचायतों के अध्यक्षों के लिए और 5 नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं.

पार्टी ने, हालांकि, मेयर सीटों के लिए किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है. द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में एक भाजपा नेता के हवाले से बताया है कि इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक उम्मीदवार पसमांदा मुस्लिम समुदाय से हैं- शिया और सुन्नी दोनों. वर्ष 2017 के निकाय चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों को भगवा पार्टी ने पार्षदों और सदस्यों की केवल कुछ सीटों से टिकट दिया था और कई सीटें ऐसी थीं जहां पार्टी को एक भी उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए नहीं मिला था. राज्य के 17 नगर निगमों में से अयोध्या इकलौता ऐसा निकाय है जहां पार्टी ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा ने नगरसेवकों के पदों के लिए सबसे अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है- मेरठ में 21, अलीगढ़ में 17, सहारनपुर में 13, कानपुर में 11, बरेली में पांच, मुरादाबाद में आठ, गाजियाबाद में चार, प्रयागराज और वाराणसी में 3-3. लखनऊ में दो और गोरखपुर, झांसी, आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा-वृंदावन और शाहजहांपुर में 1-1. टांडा और रामपुर की नगर पालिका परिषदों के अध्यक्ष पद के लिए पार्टी ने दो महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. साथ ही जिले की स्वार सीट से पार्टी की सहयोगी अपना दल (एस) ने एक महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा है.

इसी तरह, पार्टी ने बदायूं जिले के ककराला, आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर और बिजनौर जिले के अफजलगढ़ की नगर पालिका परिषदों से मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए ज्यादातर मुस्लिम उम्मीदवार मेरठ, बागपत, अमरोहा, मुरादाबाद, बदायूं, रामपुर और बरेली जिलों से हैं. इन सभी जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘अतीत में टिकट के लिए समुदाय की ओर से ऐसी कोई मांग नहीं की जाती थी. इस बदलाव से पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में बीजेपी में मुसलमानों का भरोसा बढ़ा है.’

अली का मानना है कि भाजपा में मुसलमानों का भरोसा इसलिए बढ़ा है क्योंकि केंद्र में नरेंद्र मोदी और यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने उन्हें बिना किसी भेदभाव के कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया है. रिपोर्ट में पार्टी के एक अन्य नेता के हवाले से कहा गया है, ‘मुस्लिम उम्मीदवारों को केवल समुदाय के प्रभुत्व वाली सीटों पर टिकट दिया गया है. मतदान के दिन हमें जो प्रतिक्रिया मिलेगी, वह पार्टी द्वारा समुदाय तक पहुंचने के लिए किए गए प्रयासों की प्रभावशीलता का परीक्षण करेगी.

मुताबिक भाजपा नेता ने कहा- पार्टी ने सभी जातियों और समुदायों के सदस्यों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया और उन्हें यूपी विधान परिषद में प्रतिनिधित्व दिया है.’ पिछले महीने ही पार्टी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के तत्कालीन कुलपति तारिक मंसूर को राज्य विधान परिषद के लिए नामित किया था. अब यूपी विधान परिषद में भाजपा के 4 मुस्लिम सदस्य हैं, जो पार्टी से विधानसभा के ऊपरी सदन में समुदाय का अब तक का सबसे अधिक प्रतिनिधित्व है.