मेरठ। में खतरनाक चाइनीज मांझे ने गुरुवार को बीफार्मा छात्र की जान ले ली। छात्र बाइक से खतौली जा रहा था। दिल्ली-देहरादून हाईवे (रुड़की रोड) पर मांझे की चपेट में आ गया। गर्दन कटने से लहूलुहान होकर सड़क पर गिर गया। आसपास के लोगों ने मोदीपुरम स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उपचार के दौरान मौत हो गई।
खतौली के रसूलपुर कैलोरा गांव निवासी चंद्रपाल का छोटा बेटा अजय (24 वर्ष) बीफार्मा कर रहा था। लावड़ में अपने मामा राजपाल के यहां रह रहा था और पल्हैड़ा स्थित एक निजी अस्पताल में काम सीख रहा था। अजय की भाभी का दो दिन पहले चारा काटने वाली मशीन से हाथ कट गया था। वह मेरठ शहर के एक अस्पताल में भर्ती है। गुरुवार को उसे देखने के बाद अजय बाइक से अपने गांव रसूलपुर कैलोरा जा रहा था। रुड़की रोड पर चाइनीज मांझे की चपेट में आ गया। उसकी गर्दन बुरी तरह से कट गई। लहूलुहान होकर अजय बाइक से सड़क पर गिर गया। यह देख मौके पर एकत्रित हुए लोगों ने पुलिस को जानकारी देते हुए अजय को मोदीपुरम स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया। उपचार के दौरान अजय की मौत हो गई।
चिकित्सकों के मुताबिक, मांझे से गर्दन में गहरा कट लग गया था। कई नसें कट गई थीं। जिस वजह से काफी खून बह गया और अजय को बचाया नहीं जा सका। पुलिस से घटना की जानकारी मिलते ही परिजन तत्काल अस्पताल पहुंचे। पुलिस शव पोस्टमार्टम के लिए भेजने लगी, लेकिन परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने पंचनामे की कार्रवाई कर शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया। रसूलपुर कैलोरा गांव में रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया।
अजय घर में सबसे छोटा था और सबका राज दुलारा था। उसकी मौत के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है। बड़े भाई कृष्ण, लक्ष्मण, अंकुर व माता बृजेश का रो-रोकर बुरा हाल है। माता बृजेश रोते हुए कह रही थी कि बेटा बीफार्मा कर अधिकारी बनना चाहता था। विलाप करते हुए मां बार-बार बेहोश हो रही थी। परिजनों के अनुसार अजय पढ़ने में होशियार था। गांव में जिसे भी हादसे की जानकारी हुई वह सन्न रह गया। जो जैसे था चंद्रपाल के घर पहुंच गया। परिजनों ने बताया कि अजय की मां और एक भाई भी मेरठ गए थे। वह अस्पताल से लौट आए थे। अजय थोड़ा लेट हो गया था।
अजय ने हेलमेट भी लगा रखा था। मांझा हेलमेट के बाद उसकी गर्दन में जा फंसा और बुरी तरह से गर्दन को काट दिया। मौके पर कुछ लोगों ने मांझा को निकाला, लेकिन पूरा मांझा नहीं निकला। अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि गर्दन बहुत ही ज्यादा कट गई थी।
प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज मांझे की बिक्री नहीं थम रही है। तमाम दावों के बाद भी प्रशासन चाइनीज मांझे की बिक्री रोकने में नाकाम रहा है। चाइनीज मांझे से बेजुबानों के साथ इंसानों की जान भी खतरे में है। कई ऐसे हादसे हो चुके हैं, जिसमें लोग खतरनाक मांझे से लहूलुहान हो चुके हैं। उनकी जान जाते-जाते बची है। रुड़की रोड पर भी कई दुपहिया वाहन चालक चाइनीज मांझे की चपेट में आ चुके हैं।
रुड़की रोड पर पतंगबाजी अधिक होती है। ज्यादातर लोग चाइनीज मांझे का प्रयोग करते हैं। पहले भी रुड़की रोड पर कई बार हादसे हो चुके हैं। प्रशासन लगातार लोगों से चाइनीज मांझे का प्रयोग न करने की अपील करता रहा है लेकिन, इसके बाद भी लोग चाइनीज मांझे का प्रयोग कर रहे हैं।